भगवान वासुपूज्य की जन्मकल्याणक भूमि सिद्धक्षेत्र चंपापुर के जैन मंदिर में पर्युषण पर्व (दसलक्षण धर्म) के पहले दिन उत्तम क्षमा धर्म की निष्ठा, आस्था एवं भक्तिभाव पूर्वक उपासना की गई। पवित्र सिद्धक्षेत्र चंपापुर में आयोजित पर्युषण पर्व के पहले दिन पूरे उत्साह और उमंग भरे वातावरण में कई राज्यों से आये श्रद्धालुओं ने भी भाग लिया। सभी श्रद्धालुओं ने 24 तीर्थकरों की वेदियों सहित मानस्तंभ की परिक्रमा की और तुम वंदन जिन देवजी, नित नपव मंगल होय का मंगल उच्चारण से पूरा मंदिर परिसर गुंजायमान था। पर्युषण पर्व के पहले दिन प्रवचन करते हुए पंडित जागेश शास्त्री ने कहा कि दसलक्षण पर्व सभी के लिए वैराग्य के अभ्यास का स्वर्णिम अवसर है क्योंकि कभी-कभी एक सांस्कारिक क्षण भी हमारे जीवन में नया मोढ़ ला सकता है।
कोतवाली चौक स्थित जैन मंदिर में भी दसलक्षण पर्व के अवसर पर पूज्य आर्यिका सरसमती माजा जी एवं सुबोधमती माता जी ने श्रद्धालुओं को मंगल आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि आज हम उत्तम क्षमा धर्म की उपासना कर रहे हैं। इसलिए मन में निर्मलता होने पर भी क्षमा मांगने का भाव पैदा होता है। परोपकार के प्रभाव से संकट कम होते हैं और व्यक्ति आनंदमय जीवन जीता है। वर्षो की मित्रता को कठोर वचन क्षण भर में नष्ट कर देता है। दसलक्षण धर्म आध्यात्मिक पर्व है साथ ही क्षमा अमृत है। पंडित अराध्य शास्त्री ने कहा कि क्रोध से किसी का भला हो ही नहीं सकता। क्रोध आपका नुकसान जरूर करवा सकता है। क्षमा महानता का परिचायक है और क्षमा मांगने और क्षमा करने से आत्मा पवित्र और सरल हो जाया करती है। बाहर से आये श्रद्धालुओं का स्वागत सिद्धक्षेत्र के मंत्री सुनील जैन ने किया। आयोजन में विजय रारा, पदम पाटनी, गंभीरमल बड़जात्या, श्रीचंद पाटनी, जयकुमार काला, अशोक पाटनी, सुमित बड़जात्या, सुमंत पाटनी, पवन गंगवाल, संजय विनायक्या आदि मौजूद थे।