दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन से पूरा देश गमगीन है। वैसे तो अटल जी का जन्म ग्वालियर में हुआ था किंतु इनके बाबा पं. श्यामलाल वाजपेयी जैन धर्म के 22वें तीर्थकर नेमिनाथ के जन्म कल्याणक की नगरी बटेर/शौरीपुर के रहने वाले थे। यही कारण रहा कि कहीं न कहीं उन्हें जैन धर्म में उनकी रुचि और भावनात्मक लगाव था।
वे जैन धर्म की परंपराओं, सिद्धातों को अपने राजनीतिक भाषणों में भी जिक्र किया करते थे। यही कारण था कि वे जैन धर्म और उनके अहिंसामयी सिद्धातों से बहुत प्रभावित थे। वे जैन धर्म से जुड़े कार्यक्रमों में जाने से कोई मौका नहीं चूकते थे। यहाँ तक कि दिल्ली से बाहर भी होने वाले जैन समारोह/कार्यक्रमों में वे लगातार जाते थे, फिर चाहे थोड़ी देर के लिए ही क्यों न जाएं।
देश की राजधानी दिल्ली सहित देश में कहीं भी वे जैन समारोह और यहां तक कि वे 1999 में इंदौर के गोमटगिरी में आचार्यश्री विद्यासागर जी मुनिराज के दर्शन तक गये थे, उस समय उनके साथ लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन सहित अन्य वरिष्ठगण मौजूद थे। आज पूरा देश उनकी यादों को याद कर उन्हें अंर्तआत्मा से नमन कर रहा है। ऐसी व्यक्तित्व को बारम्बार नमन..
Heading: Atal ji having special attachment with Jain dharm