जैन संत विशुद्ध सागर महाराज का मनाया गया आचार्य पदारोहण दिवस , लॉकडाउन का पालन कर एक गांव में रुका है जत्था।


चंडी (नालंदा) : जैन जगत में आध्यात्म , ज्ञान , ध्यान , तप , त्याग , साधना और आगम चर्या के लिए सुविख्यात जैन संत शिरोमणि आचार्य प्रवर श्री 108 विशुद्ध सागर जी महाराज का 13 वां आचार्य पदारोहण दिवस मंगलवार को चंडी स्थित माधोपुर गांव के समीप वैदिक गार्डन में मुनियों व त्यागी वृतियों ने श्रद्धापूर्वक मनाया।

हालांकि कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते देश में चल रहे लॉकडाउन का पालन करते हुए संत के साथ चल रहे भक्तों ने इस अवसर पर समारोह को भव्य रूप से ना करके सिर्फ एक धार्मिक पारंपरिक क्रियाएं को ही पूर्ण किया। जिसमें मुनियो, त्यागी वृत्ति और साथ में रहने वाले कुछ श्रद्धालुओं ने ही आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज को नवीन पिच्छी , शास्त्र भेंट , पाद प्रक्षालन , अर्घ्य चढ़ाकर व मंगल आरती करके अपनी श्रद्धा सुमन समर्पित किया।

बताया गया कि यह आचार्य पदारोहण दिवस संभवतः झारखण्ड के कोडरमा में मनाया जाने वाला था। जहां के जैन समाज पलक पावड़े बिछाये संतों का इंतजार कर रही थी। इस अवसर पर वहां भव्य समारोह मनाने संभावना थी। परंतु देश में लागू जनता कर्फ्यू और लॉकडाउन के कारण साधुओं के जत्था को नालंदा स्थित चंडी माधोपुर गांव के समीप वैदिक गार्डन में पड़ाव करना पड़ा। जो यहां विगत 10 दिनों से सुरक्षा की दृष्टि से लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए रुके है। लॉकडाउन पूर्ण होने के पश्चात मुनि संघ भगवान महावीर जन्म भूमि कुंडलपुर तीर्थ सहित अन्य पंचतीर्थ और आगे की धर्म यात्रा के लिए पदविहार करेंगे।

वहीं , इस पावन अवसर पर संघस्थ ऐलक श्री यत्न सागर जी महाराज अपने गुरुदेव आचार्य विशुद्ध सागर महाराज से मुनि दीक्षा प्रदान करने हेतु निवेदन किया। साथ ही आचार्य श्री को नवीन पिच्छी देने का सौभाग्य संघस्थ इंदौर निवासी राकेश प्रियंका जैन शाह और आहार देने का सौभाग्य संघस्थ हैदराबाद निवासी किशोर जैन , अनिवेष जैन पहाड़े , टीकमगढ़ निवासी योगेंद्र जैन और भिंड निवासी मनोज जैन , निमित्त जैन को प्राप्त हुआ।

लगभग 60,000 कि•मी• की पैदल यात्रा कर चुके है संत विशुद्ध सागर महाराज

बता दें कि राष्ट्रसंत गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महामुनिराज से दीक्षित आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज को भगवान महावीर जयंती पर 31 मार्च 2007 को औरंगाबाद (महाराष्ट्र) में आचार्य पद से विभूषित किया गया था। जो हिन्दी , संस्कृत , प्राकृत भाषाओं के ज्ञाता होने के साथ साथ इन्होंने सैंकड़ो ग्रंथ की रचना की है। जिसमें से कुछ ग्रंथ विदेशों में प्रचलित है। मुख्य रूप से ये आगम चर्या के महाज्ञानी के रूप में जाने जाते है। इनके द्वारा दिया गया नमोस्तु शासन जयवंत हो का नारा आज भी प्रासंगिक है। इनकी लौकिक शिक्षा महज दसवीं तक है।  इसके उपरांत दीक्षा लेकर लगभग 31 वर्षों से संत पथ पर चलकर जिनशासन धर्म की प्रभावना कर रहे है। जो अबतक लगभग 60,000 किलोमीटर पैदल धर्म यात्रा कर चुके है। इन्होंने 12 महीनों में लगभग 2500 किलोमीटर तक पदविहार किया है। इनका संघ मध्यप्रदेश , महाराष्ट्र , छत्तीसगढ़ , कर्नाटक , राजस्थान , उत्तरप्रदेश आदि प्रांतों की पदयात्रा करके बिहार पहुंची है।

 

— प्रवीण जैन (पटना)


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