जैन समुदाय के अति महत्वपूर्ण सिद्धक्षेत्र मधुबन के विकास का कार्य जल्द शुरू होने जा रहा है। इस संबंध में उपायुक्त उमा शंकर सिंह ने मंगलवार को मुधबन स्थित यात्री निवास में वहां की अनेक संस्थाओं के प्रतिनिधियों सहित मजदूर संगठन समिति के साथ विस्तृत बैठक की गयी। बैठक के पूर्व उपायुक्त ने संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ वहां का औचक निरीक्षण भी किया। विकास कायरे में क्षेत्र की साफ-सफाई, सुरक्षा व्यवस्था सहित बढ़ रहे अतिक्रमण के मददेनजर चर्चा की गयी। बैठक में शिखर पर हैलीपेड बनाने पर भी चर्चा हुई, इसके बारे में स्पष्ट किया गया कि हैलीपेड का निर्माण केवल आपातकाल के लिए ही किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि विकास कार्य के दौरान क्षेत्र की पवित्रता के साथ कतई क्षेतछ्राड़ नहीं की जाएगी। बुजुर्ग तीर्थयात्रियों को यात्रा कराने वाले डोली मजदूरों का दोबारा पंजीकरण और उनका बीमा भी किया जाएगा। इसके लिए मधुबन में दिनांक 17, 18 एवं 19 जनवरी को कैम्प की व्यवस्था की गयी है। मधुबन में दुकानदारों को आ रही समस्याओं पर भी चर्चा की गयी और निर्णय लिया गया कि जिनकी भी दुकाने टूटी हैं, उन्हें किसी अन्य स्थान पर दुकान की जगह देने के लिए समन्वय समिति को अपने स्वविवेक पर निर्णय लेने को कहा है। मधुबन की साफ-सफाई वहां की ग्राम, जल एवं स्वच्छता समिति को सौपी गयी है। इसके लिए पर्याप्त राशि प्रखंड स्तर से मुहैया करायी जाएगी। उपायुक्त ने कहा कि देश-विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों को कोई असुविधा न हो, इसके लिए सभी को तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा कि विकास ऐसा हो कि यहां आने वाले तीर्थयात्रियों को लगे कि मधुबन का वाकई विकास हो रहा है। इस बैठक में डीएसपी आशीष कुजूर, बीडीओ विकास कुमार, प्रभात सेठी, तारा बेन, सुमन सिन्हा, कैलाश अग्रवाल, दीपक मेपान सहित सुजीत सिन्हा उपस्थित थे। मधुबन में हो रहे अतिक्रमण पर उन्होंने कहा कि इसे चरणबद्ध तरीके से हटाने का कार्य किया जाएगा। मधुबन स्थित सभी संस्थाओं को कहा गया है कि धर्मशालाओं और उनके आसपास की सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाए। उपायुक्त ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये है कि नियत समय में यहां के विकास का कार्य पूर्ण कर लिया जाए। मधुबन की सुरक्षा व्यवस्था के लिए शिखर की तलहटी में चेकपोस्ट बनाया जाएगा और स्थानीय पुलिस नियमित गश्त करेगी। अंत में उन्होंने कहा कि तीर्थक्षेत्र पर मांस की बिक्री कतई नहीं होगी। हां यह जरूर कहा कि क्षेत्र से बाहर इसकी छूट दी जा सकती है। इसके लिए इस मामले में जैन समुदाय की भावनाओं का पूरा ख्याल रखा जाएगा और आपसी सहमति के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।