भोपाल। जैन संत आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने कहा है कि मन वचन काय की शुद्धि के बिना आत्मा को समझना और उसकी बात करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि हम श्रेष्ठ श्रावकों को ही ज्ञान की बात समझाना चाहते हैं क्योंकि जो श्रेष्ठ श्रावक नहीं है वे ज्ञान की बातें समझ ही नहीं सकते। आचार्यश्री रविवार को दिगंबर जैन मंदिर हबीबगंज में प्रवचन कर रहे थे। दोपहर में उनकी विशाल धर्मसभा सुभाष स्कूल मैदान पर होगी।
रविवार को आचार्यश्री के दर्शन करने देशभर से हजारों की संख्या में लोग पहुंच रहे थे। भक्तों के अनुरोध पर आचार्यश्री ने सुबह की सभा में संक्षिप्त उद्बोधन में कहा कि जिस प्रकार जंग लगा लोहा बेशक पारस के संपर्क में आ जाए लेकिन वह सोना नहीं बन सकता। इसी प्रकार अज्ञानी व्यक्ति कितना भी गुरु के संपर्क में रहे वह ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता। आचार्यश्री ने कहा कि सोना बनाने से पहले लोहे से जंग हटाना जरूरी है वैसे ही आत्मा को समझने से पहले मन वचन काय की शुद्धि करना जरूरी है।
आचार्यश्री ने कहा कि आत्मा के सही स्वरूप को समझना है तो पहली शर्त श्रेष्ठ श्रावक बनना होगा। उन्होंने वर्तमान शिक्षा प्रणाली को दोषपूर्ण बताते हुए कहा कि समय आ गया है कि विदेश से मिली इस प्रणाली को बदलना होगा। शिक्षा प्रणाली को बदलकर ही संस्कारों का सही बीजारोपण हो सकता है।
मडवैया परिवार ने किया पाद प्रच्छालन
रविवार को भोपाल के जीवनप्रकाश मडवैया और दिल्ली के मुकेश जैन परिवार ने आचार्यश्री विद्यासागर महाराज का पाद प्रच्छालन किया। कोटा से पधारे मनोज जैन ने आचार्यश्री को शास्त्र भेंट किया। प्रवचन से पूर्व हजारों भक्तों ने श्रद्धा के साथ आचार्यश्री की पूजन की।
- रवीन्द्र जैन