रतलाम। व्यक्ति यदि सब्जी लेने जाता है, तो सब्जी ही लाता है। सब्जी वाले को नहीं लाता है। कपड़ा लाना हो, तो भी कपड़ा लाता है। कपड़े वाले को नहीं लाता। समाज में जिसके पास जो है, वहीं चीज लाई जाती है। उसे नहीं लाया जाता। गुरुजन, संत और साधु के पास भी मनुष्य ज्ञान लेने आता है, उन्हें ले जाने के लिए नहीं आता।
यह बात आचार्य पुष्पदंत सागर जी महाराज के शिष्य राष्ट्रसंत आचार्यश्री पुलक सागर जी महाराज ने कहीं। गोशाला रोड स्थित आचार्यश्री सम्मति सागर त्यागी भवन में उन्होंने कहा मेहनत से कुछ नहीं होता। यदि सिस्टम ना हो, तो कुछ नहीं चलता। इसलिए सिस्टम का पालन करो, सबको हर काम में सफलता मिलेगी। राष्ट्रसंतश्री ने कहा मंदिर में भी व्यक्ति यदि जाता है, तो भगवान के गुणों की प्राप्ति के लिए जाता है। यह सब एक सिस्टम है और नियम भी है। प्रकृति के नियम अनुसार चलने वाला ही जीवन में सफल होता है। यदि सिस्टम बदला, तो कुछ चलने वाला नहीं है। संसार में विवाद यदि होते हैं, तो सिर्फ सिस्टम के कारण होते हैं। सिस्टम को तोड़ना कहीं भी उचित नहीं है। आचार्यश्री ने बताया हारमोनियम लाओ और उसे बजाने का सिस्टम मालूम नहीं हो तो सुर नहीं निकलेंगे। हारमोनियम कितना ही महंगा हो, पर वह चलता सिस्टम से ही है। इसलिए याद रखो व्यापार-व्यवसाय में भी कितनी ही मेहनत कर लो, लेकिन सिस्टम नहीं होगा, तो आप जीरो ही रहेंगे।
एक शिल्पकार जिस प्रकार पत्थर को तराशते हुए उसमें से जो जरूरी नहीं होता, उसे निकाल देता है। इससे उसमें भगवान दिखते हैं। उसी प्रकार इंसान भी खुद को तराशते हैं अपने अंदर के अवगुण निकाल दे, तो भगवान बन सकता है।
— अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी