जब परम पूज्य प्राकृत मर्मज्ञ मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी महाराज के मंगल आशीर्वाद से प्राकृत ऑनलाइन पाठशाला का शुभारंभ हुआ तो बहुत लोगों के मन में इस तरह के प्रशन उठने लगे।
अधिकांश लोगों को यह भी नहीं पता कि प्राकृत एक भाषा होती है हम प्रतिदिन णमोकार मंत्र तो पढ़ते हैं लेकिन हमें यह भी ज्ञात नहीं था कि हमारा अतिप्राचीन महामंत्र णमोकार मंत्र प्राकृत में ही लिखा हुआ है। हमारे प्राचीन आचार्यों द्वारा हस्तलिखित ग्रंथ भी प्राकृत में लिपिबद्ध है आज हमारे महान ग्रंथ अलमारियों में बंद रखे हैं इसका कारण यह है कि हमें प्राकृत नहीं आती। आज अंग्रेजी हमारे ऊपर इतनी हावी हो गई है कि हम राष्ट्रभाषा हिंदी को भी भूलते जा रहे हैं।
वर्ष 2017 का पावन वर्षायोग जब मुनि श्री का रेवाड़ी में हुआ तो वहां पर मुनि श्री ने प्राकृत को सरल, सुबोध बनाने के लिए पाइय-सिक्खा पुस्तकों की रचना की। आज इन पुस्तकों का अध्ययन 5 वर्ष से लेकर 70 वर्ष के वर्द्ध, युवा, महिलाएं-पुरुष एवं बच्चे कर रहे हैं। पाठशाला का मुख्य उद्देश्य हमारी जैनागम की वाणी को जन-जन तक पहुंचाना है एवम अपनी संस्कृति एवम सभ्यता की रक्षा करना है। आज प्राकृत की लहर इतनी तेज चल रही है कि इसने भारत की सीमा को भी पार कर दिया।
इस उद्देश्य से विभिन्न शहरों में प्राकृत जैन विद्या पाठशालायें एवम ऑनलाइन पाठशालाये खुल रही हैं। मुनि श्री के आशीर्वाद से प्राकृत की अब तक नौ ऑनलाइन पाठशालाएं खुल चुकी हैं जो कि पूर्ण प्रगति पर हैं। लोगों को बढ़ती हुई संख्या एवं उनका प्राकृत के प्रति लगाव एवं रुचि को देखकर यह दसवीं पाठशाला होगी।
यह ऑनलाइन पाठशाला 01 दिसंबर से प्रारंभ हो रही है। आप अपने सगे सम्बन्धियो को भी इस पाठशाला से जोड़ सकते है। पाठशाला में आपसे प्रतिदिन रात 8:00 बजे पर 1 से 5 प्रश्न पूंछे जाएंगे। शुक्रवार शनिवार एवं रविवार को पाठशाला का अवकाश रहेगा। 4 दिन में पढ़ाई हुई कक्षाओं में से शुक्रवार को एक अभयास पत्र डाला जाएगा जिसे आप स्वयं हल कर सकते हैं। महीने की अंतिम तिथि को आपको जितना भी पढ़ाया गया है उसका पेपर भी होगा। प्रथम, द्वितीय तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले को पुरुस्कृत किया जाएगा।
पाठशाला से जुड़ने के लिए आप निम्न पदाधिकारियों से संपर्क कर सकते है।
सम्पर्क सूत्र-
डॉ अजेश जैन शास्त्री 09784601548
श्रीमती नेहा जैन प्राकृत 09817006981
श्रीमती संगीता जैन 07404925354