मुम्बई। रत्नानत्रेय ट्रस्ट के साहित्य सत्कार समिति द्वारा जैन आचार्य रत्नासुंदर सूरीर जी महाराज की लिखित पुस्तक ‘मारू भारत सारू भारत’ (मेरा भारत श्रेष्ठ, भारत) का विमोचन देश के प्रधानमंत्री ने वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर आचार्य की सराहना करते हुए कहा कि देश और समाज की भलाई के लिए आचार्य जी द्वारा बहुत कुछ किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि आचार्य श्री द्वारा 300 पुस्तक की रचना करना कोई मामूली कार्य नहीं है। उनकी पुस्तकों में जीवन के कई पहलुओं में आचार्य श्री की परछांई देखी जा सकती है। उन्होंने आगे कहा कि आचार्य श्री की पुस्तकों में उनकी दिव्यवाणी गूंजती हुई सुनाई देती है। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्र धर्म हर धर्म और संप्रदाय से बड़ा होता है। प्रधानमंत्री ने जैन संतों सहित अन्य सभी संतों की भूमिका की प्रशंसा करते हुए कहा कि ये हमारी विरासत हैं। देश में कई संत और मुनि रहे हैं, जिन्होंने राष्ट्र के उत्तम निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने आगे कहा कि भारत के संतों ने कभी सांप्रदायिकता की बात नहीं की बल्कि मानव जाति के कल्याण के लिए अध्यात्मक का प्रचार-प्रसार किया। आचार्य रत्नासुंदर सूरीर जी महाराज ने दिल्ली से वीडिया कांफ्रेंसिंग के जरिये प्रधानमंत्री का धन्यवाद अदा किया और संदेश दिया कि परिवार के पास मूल्य होते हैं और देश के पास उसकी संस्कृति।