श्री अतुल जैन वाईस एडमिरल अति विशिष्ठ सेवा मैडल वर्ष २०१५ और विशिष्ठ सेवा मैडल २००९ ने आज फ्लैग अफसर कमाण्डिंग – इन -चीफ ईस्टर्न नवल कमांड विशाखापट्टम का पद भारग्रहण किया, उन्होंने वाईस एडमिरल जो एडमिरल बनने जा रहे श्री कर्मबीर सिंह से प्रभार लिया।
श्री अतुल जैन मध्य प्रदेश के रीवा में ७ जून १९६० में जन्मे हैं उन्होंने १ जुलाई १९८२ में उन्होंने अपनी सेवाएं नेवी में दी। उनकी शिक्षा सैनिक स्कूल रीवा, नेशनल डिफेन्स अकादमी पुणे, दी डिफेन्स सर्विसेज स्टाफ कॉलेज वेलिंगटन, कॉलेज ऑफ़ नवल वारफेयर मुंबई एंड नेशनल डिफेन्स कॉलेज प्रीटिरिआ साउथ अफ़्रीकामें हुई।
श्री जैन ने अपनी स्नातक परीक्षा दिल्ली यूनिवर्सिटी से और पोस्ट -ग्रेजुएशन इन डिफेन्स एंड स्ट्रेटेजिक स्टडीज मद्रास यूनिवर्सिटी से पास किया .वे गनरी और मिसाइल स्पेशलिस्ट हैं .उनके द्वारा अनेको पद जैसे ऑपरेशनल ,स्टाफ और कमांड क्षत्रों में विगत ३७ वर्षों से कार्यरत हैं .उनके द्वारा आई .एन. एस निर्घट (मिसाइल बोट ) आई एन एस खुकरी (मिसाइल कार्वेट ) आई एन एस राजपूत (डिस्ट्रॉयर ) और भारत में निर्मित आई एन एस मैसूर में कार्य किया इसके अलावा श्री जैन को यह भी सौभाग्य प्राप्त हुआ की एग्जीक्यूटिव अफसर ऑफ़ आई एन एस ब्रह्मपुत्र और फ्लीट ऑपरेशन्स अफसर पूर्वी तट विशाखापट्टनम में किया, उनकी सेवाएं विदेश में भी ली गई जैसे डायरेक्टर नवल इंटेलिजेंस (प्रोटोकॉल), डायरेक्टर फॉरेन लाइज़न औरप्रिंसिपल डायरेक्टर स्टाफ रेक्विरेमेंट एट इंटीग्रेटेड हेडक्वाटर्स, मिनिस्ट्री ऑफ़ डिफेन्स नेवी दिल्ली। पदोन्नति फ्लैग रैंक में ओक्टोबेर २०११ में फर्स्ट फ्लैग अफसर कमांडिंग कर्णाटक नेवल एरिया में हुए हो बहुत महत्वपूर्ण पद माना जाता हैं .उसके बाद श्री जैन को पूर्वी क्षेत्र के साथ चीफ ऑफ़ स्टाफ एस एन सी का पद भार भी सम्हाला।
श्री अतुल जैन को १ अप्रैल २०१५ में वाईस एडमिरल के पद पर पदोन्नत हुए और साथ ही कंट्रोलर पर्सनल सरविवेस का दायित्व सम्हाला। श्री जैन ने चीफ ऑफ़ स्टाफ .इ एन सी का कार्य फरबरी २०१६ से दिसंबर २०१७ तक कार्य किया .इसके बाद डुप्टी चीफ इंट्रीग्रेटेड डिफेन्स स्टाफ नई दिल्ली में कार्यरत रहे। उसके बाद ३० मई २०१९ की फ्लैग अफसर कमांड इन चीफ पूर्वी तट का कार्य भार अत्यंत भव्य कार्यक्रम के साथ हुआ।
इस प्रदेश के गौरव श्री अतुल जैन को कोटि कोटि बधाई और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए ईश्वर उन्हें और तरक्की दे।
— डॉक्टर अरविन्द जैन