मंदार के दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र में जैन धर्मावलंबियों का चल रहे दशलक्षण महापर्व के छठे दिन उत्तम संयम धर्म को मनाया गया है। मंगलाचरण , स्तुती पाठ के बाद भगवान महावीर के मस्तकाभिषेक से आज का कार्यक्रम शुभारंभ हुआ।भगवान महावीर और नौ प्रकार के रत्नों की मूर्ति नवरत्न प्रतिमाओ का पंचामृत दुग्धा अभिषेक किया गया।आज सुगंध दशमी और संयम धर्म के अवसर पर विशेष पूजन में भगवान शीतलनाथ पूजा, नवग्रहरिष्ट पूजा, महामंत्र णमोकार पूजा, नदीश्वरदीप पूजा, सोलकारण पूजा, दसलक्षण पूजा आदि नौ प्रकार के पूजा-अर्चना की गई।
मंत्र णमोकार हमें प्राणों से प्यारा , यह है वो जहाज जिसने लाखों को तारा भजन पर झूमे श्रद्धालु।
सुगंध दशमी या धूप दशमी के अवसर पर मंदारगिरी के सभी जिनालयो में धूप की भीनी-भीनी और सुगंधित खुशबू बिखरी। क्षेत्र प्रबंधक पवन कुमार जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि जैन मान्यताओं के अनुसार पर्युषण पर्व के अंतर्गत आने वाली सुगंध दशमी का काफी महत्व है इस व्रत को विधिपूर्वक करने से मनुष्य के अशुभ कर्मों का क्षय होकर पुण्यबंध का निर्माण होता है तथा उन्हें स्वर्ग, मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दौरान जैन समुदाय आसपास के सभी जैन मंदिरों में जाकर भगवान को धूप अर्पन (खेवन) करते है। जिससे सारा वायुमंडल सुगंधमय, बाहरी वातावरण स्वच्छ और खुशनुमा हो जाता है।लोग अपने द्वारा हुए बुरे कर्मों के क्षय की भावना मन में लेकर मंदिरो में भगवान के समक्ष धूप और सुगंधित चंदन की चढ़ाई जाती है। सभी जिनालयो मे चौबीस तीर्थंकरो को धूप अर्पित करके,भगवान से अच्छे तन-मन की प्रार्थना की जाती है।
श्री जैन ने ये भी बताया कि प्राणी-रक्षण,मन और इन्द्रिय दमन करना ही उत्तम संयम है।
जिस मनुष्य ने अपने जीवन मे संयम धारण कर लिया ,उसका मनुष्य जीवन सार्थक तथा सफल हो जाता है। बगैर संयम के मुक्तिवधू कोसों दूर एवं आकाशकुसुम के समान है।
अन्य राज्यो से मंदार पहुँचे तीर्थयात्रियो ने भी भगवान को धूप-चंदन अर्पित किया। इस अवसर पर महाराष्ट्र,मध्यप्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश आदि प्रांतों के तीर्थयात्री सहित स्थानीय जैन समाज ने भाग लिया। वहीं संध्या को धूमधाम के साथ मंगल आरती, भजन का कार्यक्रम किया जाएगा।
- Pravin Jain