भोपाल। आचार्य विद्यासागर जी महाराज 28 जुलाई को दोपहर 3 बजे मध्यप्रदेश विधानसभा में मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक और प्रशासनिक अधिकारियों को शासन-प्रशासन के संचालन के कुछ नए सूत्र देंगे। पहली बार आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने किसी विधानसभा में पहुंचकर प्रवचन देने के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है। मध्यप्रदेश विधानसभा के स्पीकर सीताशरण शर्मा ने सोमवार को आचार्यश्री के पास पहुंचकर विधानसभा आने का आमंत्रण दिया था।
विधानसभा में आचार्य विद्यासागर जी महाराज के उद्बोधन को लेकर पूरे देश में न केवल जैन समाज बल्कि सभी समाजों और लोगों में जिज्ञासा का माहौल है। आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने न केवल नीति शास्त्र, कर्म सिद्धांत, न्याय सिद्धांत जैसे ग्रंथों का अध्ययन किया है और वे अपने शिष्यों को भी लगातार इन ग्रंथों को पढ़ा रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि पहली बार आचार्य विद्यासागर जी महाराज धर्म, समाज, न्याय, कर्म और शासन-प्रशासन के कर्तव्यों जैसे मुद्दों पर विधानसभा में बोल सकते हैं। आचार्य विद्यासागर जी महाराज जैसे गुणी और ज्ञानवान संत का विधानसभा में प्रवचन देना एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। विधानसभा सचिवालय में आचार्यश्री की संघ सहित अगवानी और उनके प्रवचनों को लेकर तैयारियां शुरू कर दी है। अभी यह तय नहीं है कि आचार्यश्री के प्रवचन विधानसभा के मुख्य सदन में होंगे अथवा मानसरोवर सभागृह में। लेकिन यह तय नहीं है। स्पीकर शर्मा ने प्रवचन के दौरान मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायकों और प्रशासनिक अधिकारियों को उपस्थित रहने की पहल की है। इस दौरान विधानसभा सचिवालय के अधिकारी, कर्मचारी भी मौजूद रहेंगे।
सुधा मलैया ने किया शास्त्र भेंट
मंगलवार को हबीबगंज दिगम्बर जैन मंदिर में आचार्य विद्यासागर महाराज की संगीतमय पूजन की गई। पूजा व पाद प्रच्छालन करने का सौभाग्य भाजपा के पूर्व विधायक सुकप्रच्छालन को मिला। भाजपा की वरिष्ठ नेता श्रीमती सुधा मलैया को शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इन दोनों नेताओं ने बकायदा बोली लगाकर दान राशि तय कर यह सौभाग्य प्राप्त किया। आचार्य श्री का पाद प्रच्छालन सिलवानी से आए जोगेन्द्र जैन आशीष जैन ने भी प्राप्त किया। आचार्य श्री को शास्त्र भेंट करने वालों में भोपाल जैन समाज के अध्यक्ष प्रमोद जैन हिमांशु भी शामिल थे। मंगलवार को आचार्यश्री की आहारचर्या आगरा के जाने-माने उद्योगपति और आचार्यश्री के भक्त बैनाड़ा परिवार के चौके में हुई। मंगलवार को अपने आर्शीवचन में आचार्यश्री ने कहा कि जिस प्रकार मैं अकेला हूं वैसे भी आप भी हो। अंतर यह है कि मैंने परिवार छोड़ा और आप परिवार की जिम्मेदारी के साथ हो। इसलिए लगता है कि आप अकेले नहीं हो। उन्होंने कहा कि चिंतन से सम्यक ज्ञान की प्राप्ति होती है और जिसे सम्यक ज्ञान में सब कुछ झलकता है।
रवीन्द्र जैन