हरियाणा के जगाधरी गौशाला ग्राउंड में मुनिश्री तरुण सागर जी ने कहा कि वर्तमान में मनुष्य के जीवन में सहसशीलता का बहुत ज्यादा हृास हुआ है। उन्होंने कहा कि यदि कोई कड़वे शब्द बोल दे तो उसे नजरअंदाज कर देना चाहिए क्योंकि ऐसा नहीं करने से बेवजह का विवाद पैदा हो जाता है। व्यक्ति को यह समझना होगा कि किसी के कड़वे शब्द उसके चिपक नहीं जाते बल्कि कुछ देर में कड़वे शब्द बोलने वाला फा-फूं-फौ- करते शांत हो जाता है।
मुनिश्री की वाणी सुनने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्री कविता जैन, सीपीएस ज्ञानचंद्र गुप्ता भी आये थे। उन्होंने भगवान महावीर की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किया और मुनिश्री के चरणों में श्रीफल अपित कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर जैन हाईस्कूल के बच्चों ने भगवान महावीर की वंदना प्रस्तुति की। प्रवचन के दौरान मुनिश्री ने कहा कि आज का वह दौर है जब असहनशीलता अपने चरम पर है। यहां तक कि यदि एक बाप अपने बेटे को कुछ कह दे तो वह घर से चले जाने पर उतारू हो जाता है। इसके अलावा अपनी जीवन लीला तक समाप्त करने तक का मन बना लेता है, जो सर्वथा अनिुचित एवं कायरता है।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति को अपनी आलोचना को सुनना सीखना होगा, जो आपके जीवन में व्यक्तित्व को निखारने का काम करती है। मुनिश्री ने सत्संग की महत्ता को बताया और कहा कि व्यक्ति को पुण्य प्राप्त करने हेतु अपने ब्यस्ततम जीवनचर्या से कुछ समय निकालना ही चाहिए। क्योंकि आज लोगों की मानसिकता नकारात्मकता की ओर बढ़ती जा रही है। पुराने दौर में लोग घरों के बाहर अतिथि देवो भव: लिखवाया जाता था, जो उनकी सकारात्मक सोच को दर्शाता था किंतु लोगों की सोच बदलती गई और अब वे शुभ लाभ या स्वागत जैसे शब्द लिखवाते हैं।
21वीं सदी का व्यक्ति अपनी नकारात्मकता से भरी सोच का परिचय दे रहा है। उनको अपनी इस नकारात्म सोच को बदलना चाहिए। इस अवसर पर पुरुषोत्तरम दास जैन, दर्शन लाल जैन, प्रदुमन जैन, सुशील जैन, नरेंद्र जैन, गौरव जैन, हिमांशु जैन, अनुभव जैन, राकेश जैन, आशीष जैन सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण मौजूद थे।