क्या आप कल्पना भी कर सकते हैं कि राजधानी दिल्ली में जहां बड़ी-बड़ी इमारतें, तेज रफ्तार दौड़ती गाडियां और विश्व स्तर के तमाम आधुनिक निर्माण हो, वैसी जगह पर आपको पहाड़, गुफा और बर्फबारी देखने को मिल सकती है? निश्चित ही आपका जवाब नहीं में होगा, लेकिन ये सच है। और इसी वजह से पूर्वी दिल्ली स्थित ऋषभ विहार का दिगम्बर जैन मंदिर पिछले कुछ दिनों से विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। क्योंकि यहाँ लोगों को अष्टापद कैलाश पर्वत की अद्भुत और अविश्वसनीय आकृति देखने को मिल रही है। जिसे देख कर लोग अचंभित होने के साथ रोमांचित भी हो रहे हैं।
कैलाश पर्वत की आकृति देख लोगों को हो रही सुखद अनुभूति
यहां बनाई गई प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की तपस्थली अष्टापद कैलाश पर्वत की आकृति देखने के लिए दिल्ली ही नहीं, आसपास के राज्यों से भी श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। जहां उन्हें इस अनोखी प्रतिकृति को देखने के बाद काफी सुखद अनुभूति हो रही है और इसे देखने के बाद उन में वास्तविक कैलाश पर्वत को देखने की भी इच्छा जागृत हो रही है।
40 कलाकारों की महीने भर की मेहनत के बाद हुआ तैयार
दिगम्बर जैन समाज ऋषभ विहार के अध्यक्ष, सुनील कुमार जैन ने बताया इस आकृति को बनाने में 40 कलाकारों की एक महीने की मेहनत लगी है। सभी कलाकार कोलकाता से यहां आए थे। जिनकी बनाई आकृति लोगों का मन मोह रही है. हर दिन हजारों लोग इसे देखने के लिए पहुंच रहे हैं।
रोमांच से भरे हैं 400 फीट ऊंचाई के रास्ते
भगवान ऋषभदेव के मोक्ष कल्याणक के दिन 20 जनवरी को आचार्य श्रुतसागर और मुनि अनुमान सागर के सानिध्य में इसका शुभारंभ किया गया था। अष्टापद कैलाश पर्वत की आकृति, लोगों को वास्तविक कैलाश पर्वत का आभास करवा रही है। इसमें मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही चीनी सुरक्षा चौकी, फर्स्ट एड बनी है। कृत्रिम रुई से निर्मित ऊंची बर्फीली पहाड़ियों के बीच 175 सीढ़ियां चढ़ते हुए लगभग 400 फीट के पैदल रास्ते के बीच में वन, हिम शिखरों पर पशु-पक्षी, हिम मानव, गुफाएं, बर्फीली चोटियों पर 72 जिनालय (मंदिर), मानसरोवर झील और दुर्गम रास्तों को पार कर जब चोटी पर भगवान आदिनाथ के दर्शन करने पहुंचते हैं तो वहां बरसती कृत्रिम फॉग व बर्फ की बूंदें ठंडी हवाएं अलग ही एहसास करवाती है।
डेढ़ लाख से ज्यादा दर्शनार्थियों ने उठाया लुत्फ
20 जनवरी से शुरू हुए इस निर्वाण पखवाड़े का आज समापन होने जा रहा है। आपको बता दें कि इसकी शुरुआत से अब तक डेढ़ लाख से ज्यादा लोग यहां आ कर इस अद्वितीय कैलाश पर्वत की अष्टापद आकृति का लुत्फ उठा चुके हैं। खास बात ये है कि यहां आने वाले श्रद्धालु सिर्फ जैन धर्म के ही अनुयायी नहीं हैं, बल्कि सभी धर्मों के लोग यहां पहुंच रहे हैं।
ABP News