कोटा नगर में जैन मूल मुनि ने मंगलवार नगर प्रवेश किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि विास और आत्मबल के बिना जीवन में कुछ भी संभव नहीं है। व्यक्ति मन से स्वयं को कमजोर करता है तो दुविधा में घिर जाता है। बिना आत्मबल के जीवन का कोई भी कार्य आसान नहीं है। यही कारण है कि 95 वर्ष की अवस्था के बाद भी मूल मुनि 16 घंटे ध्यान और साधना करके लोगों का मार्गदर्शन कर रहे हैं। मुनि ने कहा कि समय बहुत बलवान है और समय रहते इसका मोल समझ लेने वाला ही सफलता प्राप्त करता है। मुनि ने कहा कि 55 वर्ष पहले वे जैन दिवाकर चौथमल महाराज के सानिध्य में कोटा आये थे। तब से और अब में काफी अंतर आ गया है।
आज कोटा एक औद्योगिक, शैक्षणिक नगरी बन चुकी है और इसकी ख्याति दूर-दूर तक फैल चुकी है। मुनि ने कहा कि आज भी इतनी उम्र में वह प्रात: 04.00 बजे जाग जाते हैं और रात्र 08.00 बजे तक कोई विश्राम नहीं करते। यह समय धर्म-ध्यान एवं लोगों के मार्गदर्शन के लिए होता है। उन्होंने कहा कि यह सब गुरु कृपा एवं पंच महाव्रतों के पालन से ही संभव है। श्री जैन दिवाकर पावन तीर्थ एवं शोध संस्थान समिति के कोषाध्यक्ष बुद्धि प्रकाश जैन ने कहा कि बल्लभबाड़ी स्थित जैन दिवाकर स्कूल में बुधवार को मुनि का 78वां दीक्षा दिवस मनाया गया।