श्रुतधाम में हजारों पांडुलिपियों, ताड़पत्रों का संग्रह – काष्ठफलक पर लिखित वर्णमाला, स्वर्ण पत्रों पर लिखा भक्तामर, स्वर्णाक्षरों में लिखी कालकाचार्य कथा लुभाती है पर्यटकों को – धर्म साहित्य का अद्भुत संग्रह किया है ब्रह्मचारी भैया संदीप सरल ने ओपी ताम्रकार, बीना। नगर का श्रुतधाम संग्रहालय, अपने आप में देश, विदेश की प्राचीन पांडुलिपियों, ताड़पत्रो
– श्रुतधाम में हजारों पांडुलिपियों, ताड़पत्रों का संग्रह
– काष्ठफलक पर लिखित वर्णमाला, स्वर्ण पत्रों पर लिखा भक्तामर, स्वर्णाक्षरों में लिखी कालकाचार्य कथा लुभाती है पर्यटकों को
– धर्म साहित्य का अद्भुत संग्रह किया है ब्रह्मचारी भैया संदीप सरल ने
नगर का श्रुतधाम संग्रहालय, अपने आप में देश, विदेश की प्राचीन पांडुलिपियों, ताड़पत्रों को समेटे हुए है। यहां विश्व की सबसे छोटी हस्तलिखित भक्तामर स्तोत्र है। जिसकी 256 लाइनों, 24 पेजों में 48 काव्यों को समेटा गया है। पांच सौ से ज्यादा वर्ष पुराने इस एक इंच के आकार के भक्तामर स्तोत्र को देखने दूर दूर से लोग आते हैं। इस अद्वितीय ग्रंथ की तरह श्रुतधाम के संग्रहालय में धर्म और साहित्य से जुड़ी हजारों पांडुलिपियों, ताड़पत्रों का संग्रह है। काष्ठफलक पर लिखित वर्णमाला, स्वर्णपत्रों पर लिखा भक्तामर, स्वर्णाक्षरों में लिखी कालकाचार्य की कथा हजारों श्रुतधारकों को मार्गदर्शन दे रही है। इन सभी ग्रंथों, साहित्य को एकत्रित किया है ब्रह्मचारी भैया संदीप सरल ने।
अनेकांत ज्ञान मंदिर शोध संस्थान के संस्थापक ब्रह्मचारी भैया संदीप सरल ने लगभग 20 वर्षों पूर्व जैन धर्म के प्राचीन साहित्य का संग्रहण शुरू किया। उनकी उत्कंठा और धर्म के प्रति लालसा देख देश, विदेश के जैन श्रद्धालुओं ने अपने पास रखे ग्रंथों को शोध संस्थान को समर्पित करना शुरू कर दिया। धर्म जागरण के उद्देश्य से देशाटन को निकले ब्रह्मचारी भैया को अनेकों श्रद्धालुओं ने साहित्य भेंट किए। जिन्हें उन्होंने पहले अनेकांत शोध संस्थान और अब श्रुतधाम में सहेज कर रखा है। साहित्य पठन पाठन की इच्छा रखने वालों के लिए श्रुतधाम स्वर्ग के समान है। विशाल लाइब्रेरी जिसमें वर्षों पुराना हस्तलिखित साहित्य है, संग्रहालय जिसमें हस्तनिर्मित जिनालय से लेकर चित्रकला के माध्यम से कही गई कथाएं, मुगलकालीन चित्रावली, पानीपत से प्राप्त काष्ठफलक पर लिखी वर्णमाला, विक्रम संवत 1832 में हुए पंचकल्याणक की हस्तलिखित आमंत्रण पत्रिका षोभायमान हो रहा है। 1500 वर्प पुराने ताड़पत्र में मुनियों के जीवन चारिर्त्य को समझाने की कोशिश की गई है। यह ताड़पत्र कन्नाड़ भाषा में लिखा है।
यह भी है श्रुतधाम में
– 700 वर्ष प्राचीन स्वर्ण चित्रकला, प्राकृत भाषा में लिखी कथा।
– 350 वर्ष प्राचीन स्वर्णाक्षरों में पंडित गंगादास जी द्वारा लिखी रविव्रत कथा।
– 732 वर्ष प्राचीन हस्तलिखित सद्भाषितावली ग्रंथ।
– 400 वर्ष प्राचीन पोस्टकार्ड में लिखा तत्सार्थ सूत्र।
– 1500 वर्ष प्राचीन ताड़पत्र में ग्रंथ मूलाचार लिखा है।
– 300 साल पुराना कन्नाड़ भापा में लिखा कथासंग्रह।
– हजारों हस्तलिखित पांडुलिपियां, ग्रंथ।
चार भाषाओं में स्वर्णपत्रों पर लिखा है भक्तामर स्तोत्र
ब्रह्मचारी भैया संदीप सरल द्वारा मुंबई से स्वर्णपत्रों पर भक्तामर स्तोत्र लिखवाया गया है। चार भाषाओं क्रमशः संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी व रोमन लिपि में लिखे इस भक्तामर स्तोत्र में 48 काव्य हैं। भैया जी ताम्रपत्रों पर ग्रंथों को तैयार कराने की कोशिश कर रहे हैं। जिससे वर्षों पुराने ग्रंथ हजारों सालों तक जीवित रहें और आने वाली पीढ़ी को धर्म, देश, इतिहास की सही जानकारी मिल सके।
अद्वितीय है संग्रह
मैंने श्रुतधाम संग्रहालय को देखा है वह अद्वितीय है। जो भक्तामर की हस्तलिखित रचना है वह संभवतः विश्व में सबसे छोटी है। कई अप्रकाशित ग्रंथ है जो यहां संग्रहित किए गए हैं। श्रुत आराधकों के लिए काफी कुछ यहां है।
मुनि विमल सागर
— Naidunia.com