इंदौर के परदेसीपुरा स्थित एक धर्मशाला में आचार्य विमद सागर जी की मौत कैसे हुई, यह अब भी एक रहस्य बना हुआ है। हांलाकि पुलिस ने एक नजर में इसे आत्महत्या की घटना बता रही है क्योंकि आचार्य का शव प्लासिटक की रस्सी से लटका हुआ मिला था। इस घटना से सवाल उठता है कि आचार्य विमद सागर आखिर ऐसा (आत्महत्या) क्यों और किस लिए करेंगे। बता दें कि आचार्य विमद सागर की चर्या कठोर तप/त्याग वाली थी, वे एक दिन छोड़कर आहार लेते थे तथा चीनी, नमक, तेल, शक्कर, दूध का उन्होंने आजीवन त्याग कर रखा था। समझ से परे है कि फिर इतने त्यागी/तपस्वी आचार्य ऐसा क्यों करेंगे?
आचार्य विमद सागर जी के बड़े भाई संतोष जैन ने कहा कि आचार्य जी ऐसा कभी नहीं कर सकते, जो सत्संग में दूसरों को जीवन की शिक्षा प्रदान करते थे, वो ऐसा क्यों करेंगे? उन्होंने कहा कि उनके कमरे में रस्सी कहां से आयी। उन्होंने कहा कि आचार्य जी का एक हाथ बचपन से टूटा था उनका हाथ सिर से ऊपर तक नहीं जा पाता था तो 12 फुट ऊपर फंसा कैसे लगा सकते हैं। उन्होंने इस घटना को संदिग्ध बताया और कहा आचार्य जी के विरोधियों का यह षडयंत्र हो सकता है। उन्होंने इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की। अब सवाल उठता है कि क्या वाकई में आचार्य जी ने आत्महत्या की है या उनकी हत्या कर शव को फंदे पर लटका कर उसे दूसरा रंग दिया जा रहा है। इसमें पुलिस को निष्पक्षता के साथ जांच कर सच्चाई सामने लानी चाहिए।