मध्य प्रदेश के चंबल क्षेत्र स्थित अटेर नगर के ग्राम पावई के श्री दिगम्बर जैन मंदिर में मूलनायक भगवान नेमिनाथ की मनोहारी मूर्ति दिन में तीन बार रंग बदलती है। इस चमत्कारी मूर्ति के दर्शन करने बहुत दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं। इस क्षेत्र के आसपास के नगरों में जैन समाज बहुतायत की संख्या में रहते हैं। ज्ञातव्य हो कि गोलालारे एवं खरौआ समाज के वंशज ताराचंद्र ने पावई की स्थापना की थी, उसी दौरान उनको पास ही गढ़ी के पास एक कुआं में भगवान नेमिनाथ की तीन फुट ऊंची प्रतिमा मिली थी। मूर्ति मिलने के बाद उन्होंने यहां जैन मंदिर का निर्माण करा कर प्रतिमा की स्थापना कराई थी। इस चमत्कारी मूर्ति की विशेषता है कि यह दिन में तीन बार अपना रंग परिवर्तित करती है।
सूर्योदय से पूर्व मूर्ति का रंग गेंहुआ, सूर्योदय होने के बाद बादामी एवं मध्याह्नकाल में मटमैले रंग की हो जाती है। ऐसा क्यों होता है? अभी तक कोई समझ नहीं पाया है किंतु जैन समुदाय के लोग भगवान नेमिनाथ की इस प्रतिमा को चमत्कार ही मानते हैं। मंदिर के संरक्षक प्रमोद कुमार जैन ने बताया कि यहां जैन समुदाय के अलावा अन्य हिंदू समुदाय के श्रद्धालु भी इस चमत्कारी प्रतिमा के दर्शन करने आते हैं। साल के क्वार वदी तीज माह में यहां मेला लगता है। इस दौरान भगवान को रथ में विराजित कर भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें जैन धर्म के अलावा हिंदू समुदाय के लोग की सम्मिलित होते हैं।