इंदौर। जिन देशों ने अपनी मातृभाषा को नहीं छोड़ा और अंग्रेजी भाषा को नहीं अपनाया, उन देशों की तरक्की विश्व में सर्वाधिक हुई है। ये विचार आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर छत्रपति नगर स्थित आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में व्यक्त किए।
आचार्यश्री ने कहा- देश में महाराष्ट्र, गुजरात, उड़ीसा, विदेशी भाषा का भी उपयोग होता है। यह गंभीर विषय है कि हम कैसे अपनी बात को दूसरी भाषा वाले तक पहुंचा सकते हैं। हम भावों के माध्यम से हमेशा चाहते हैं कि अपनी बात सबको समझ आ जाए। एक मां और उसके दूध पीने वाले छोटे बच्चे के बीच में भी भाव की ही भाषा काम करती है। उन्होंने कहा- जैसे भोजन स्वादिष्ट हो, लेकिन ज्यादा मात्रा में करने से स्वास्थ्य खराब कर देता है। ठीक वैसे ही मात्रा जहां लगाना होती है, वहींं लगाना चाहिए अन्यथा अर्थ का अनर्थ हो जाता है।
— अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी