पर्युषण पर्व के पावन पर्व पर दिलशाद गार्डन के पी ब्लाक स्थित 1008 श्री महावीर दिगम्बर जैन चैत्यालय में “स्वार्थ का संसार” नामक नाटक का आयोजन 19 सितम्बर रात्रि 09.00 बजे किया गया। नाटक की पटकथा, रूपरेखा और उसकी पूर्व तैयारी में समाज का विशेष सहयोग रहा। नाटक के सभी कलाकार भी दिलशाद गार्डन के जैन समाज के अपने ही लोग थे, जिन्होंने बहुत ही कम समय में नाटक तैयार किया। स्वार्थ का संसार नामक नाटक में कलाकारों ने अपने-अपने रौल को पूरे अंर्तमन से निभाया।
संक्षेप में नाटक का सार निम्न प्रकार था। एक चोर को जब पूरे दिन कुछ नहीं मिला तो वह एक सन्यासी का कमंडल ही उठाकर ले जाने लगा तभी सन्यासी ने कहा कि इससे तुम्हें क्या प्राप्ति होगी और तुम अपने परिवार के पेट भरने के लिए चोरी कर रहे हो, वे सिर्फ अपने-अपने स्वार्थवश तुम्हारे साथ हैं। चोर को यकीन दिलाने के लिए सन्यासी ने कहा कि तुम घर जाकर सांस रोककर लेट जाना। इसके बाद परिवार का हर सदस्य चोर को मरा समझ अपनी-अपनी पूर्ति के लिए रोने लगते हैं।
तभी सन्यासी आ जाता है और छोटे से कटोरे में मंत्रित पानी डाल कर परिवार के सभी सदस्यों से कहता है कि इसे जिंदा करने हेतु किसी एक को पानी पीना पड़ेगा। बारी-बारी से उसकी दादी, मां, पत्नी, बहन, बेटे आदि सभी ने पानी पीने से मना कर दिया। यहां तक तक पत्नी ने तो कह दिया कि मैं इस चोर के लिए क्यों मरुं, मैं तो दूसरी शादी कर लूंगी। ये सब वह चोर लेटे हुए सबकी बातें सुनता है। इसके बाद वह सन्यासी के चरणों में पड़ जाता है और समझ जाता है कि पूरे संसार में यहां तक तक अपने परिवारी जन भी सभी अपने स्वार्थवश एक-दूसरे से जुड़े हैं और सभी को अपने-अपने कर्मो का फल स्वयं ही भोगना पड़ता है। नाटक के दौरान जैन समाज के श्रद्धालुओं की काफी भीड़ थी।