भिण्ड, म.प्र. में परम पूज्य आचार्यरत्न श्री १०८ विशुद्ध सागरजी महाराज के सानिध्य में एक अनोखा अद्भुत नजारा देखा गया। आध्यात्मिक वर्षायोग २०१९ में आयोजित विद्वत संगोष्ठी के समय अचानक एक वानर राज (बन्दर) ने आकर लगभग 10मिनिट तक मुनि श्री १०८ समत्वसागर जी महाराज के शरीर पर कुछ करता रहा पर मुनि श्री शांत अडिग निष्कम्प मुस्कराते ही रहे। सत्य ही बताया गया हैं माँ जिनवाणी में, निर्ग्रन्थ मुनिराज तो निर्मल समताधारी ही होते हैं जिनके पास पहुँच कर एक तिर्यंच भी शांत हो जाता हैं। जैसा गुरु नाम विशुद्ध हैं वैसी ही विशुद्ध समता हैं, मुनि श्री समत्व सागर जी में. आचार्य श्री सदैव कहते हैं कि जिसके पास जो होता हैं वह वही देता हैं।
महाराजश्री ने कहा कि भगवान महावीर स्वामी ने कहा था कि जन्म के बाद मृत्यु अवश्य है। एक दिन संसार से सभी को जाना है एक छोर मे जन्म और दूसरे छोर में मरण है और बीच में जो है वह है जिंदगी। हम इसका यदि सदुपयोग करते है, संयम धारण करते है तो हम निर्वाण की भी प्राप्ति कर लेते हैं।
— पी. के. जैन ‘प्रदीप’