गुरू के माध्यम से मिलेगा आध्यात्मिक सुख : प्रणम्य सागर


मेरठ। अर्हम योग प्रणोता जैन मुनि प्रणम्य सागर महाराज ने कहा कि जब मां या गुरु दोनों हाथों से बच्चो को आशीर्वाद देते है और वह बच्चा दोनों हाथ जोड़कर दिय के पास रखता है, तो उस आशीर्वाद की तरंगे हाथों से होती हुई उसके दिय तक पहुंच जाती है। टाटा, बाय बाय से कोई ऊर्जा नहीं मिलती। हमने ये सारी चीजें परम्पराओ के नाम पर छोड़ दी है। यह गारंटी है कि गुरु के पास आकर सुख का अनुभव होता है, वह न कुछ देते है, न कुछ लेते है, कुछ बोलते नहीं, फिर भी सुख का अनुभव होता है, क्योंकि आध्यात्मिक सुख, आध्यात्मिक गुरु के माध्यम से ही मिलता है।

जैन मुनि प्रणम्य सागर महाराज व मुनि चंद्रसागर महाराज के सानिध्य में श्री 1008 शान्तिनाथ दिगम्बर जैन पंचायती मन्दिर असेडा हाउस मे श्रद्धालुओं ने श्रीजी का जलाभिषेक किया और शान्ति धारा की। मुनि प्रणम्य सागर महाराज ने धर्मसभा में कहा कि गुरु का नाम ही मान का मूल कारण है हर व्यक्ति मान चाहता है और मान को मिटाना भी चाहता है। जो मान हमारे अंदर आत्म गौरव बढ़ाए वह मान ग्रहण करने योग्य है। वह मान छोड़ने योग्य है जो मान हमारे अंदर ऐसा घमंड पैदा करे जिसके कारण हम दूसरो को हीन समझे। ज्ञान मूलं गुरु – गुरु के चरणों मे नमस्कार करने से ज्ञान बढ़ता है। सिर झुकाते समय आगे के हिस्से को जब झुकाया करते है, तब ब्लड की सप्लाई बढ़ जाती है, तब वह भाग ज्यादा सक्रिय हो कर ध्यान बढ़ाता है। जिसके पास जो होगा, उसको आप यदि नमस्कार करेंगे तो आपको वही चीज प्राप्त हो जाएगी। सभा में सुभाष जैन, कपिल जैन, सुणील, राजीव, संजय, राकेश, विनेश, नितिन, रमेश, नवीन, मनोज, लक्की आभा, पूनम, रचित भी उपस्थित रहे।


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