बावनगजा। सिद्धक्षेत्र बावनगजा में अष्टाह्निका पर्व मनाया जाएगा। मुनिद्वय के सान्निध्य में 4 से 12 नवंबर तक सिद्ध चक्र महामंडल विधान का आयोजन किया जा रहा है। खास बात यह है कि वर्ष का आखिरी पर्व भी मुनिद्वय के सान्निध्य में होगा। पहले दिन घटयात्रा निकाली जाएगी। साथ ही रोजाना 84 मंडलों में विधान होगा। इसको लेकर पंडाल तैयार किया जा रहा है। पर्व के दौरान देश-विदेश से श्रद्धालु शामिल होंगे। 1500 से 2 हजार लोग विधान में हिस्सा लेंगे।
मुनिश्री प्रमाण सागरजी महाराज व मुनिश्री विराट सागरजी महाराज के सान्निध्य में बावनगजा में सिद्धों की आराधना, 84 मंडलों पर बीजाक्षर सहित पूजा होगी। 4 से 12 नवंबर तक 84 बीजाक्षरों से संस्कृत में सिद्ध चक्र महामंडल विधान का आयोजन किया जा रहा है। ट्रस्ट के अध्यक्ष पवन दोशी, महामंत्री राजप्रकाश पहाड़िया ने बताया यात्रियों की आवास व्यवस्था सिद्धक्षेत्र व बड़वानी के होटल, धर्मशाला में की है। आवागमन के लिए वाहन व्यवस्था भी रहेगी। उन्होंने बताया सिद्धक्षेत्र पर सिद्ध चक्र महामंडल विधान का विशेष महत्व रहता है। वर्ष में 3 बार अष्टाह्निका पर्व आता है। पहला फाल्गुन, दूसरा आषाढ़ व तीसरा कार्तिक माह में चातुर्मास की समाप्ति के बाद पर्व मनाया जाता है। इस बार क्षेत्र को तीनों अष्टाह्निका पर्व में मुनिद्वय का सान्निध्य मिला है। उन्होंने बताया सुखद संयोग है कि तीनों अष्टाह्निका पर्व में क्षेत्र में पहली बार उत्साह के साथ 3 सिद्ध चक्र महामंडल विधान का आयोजन हो रहा है।
घटयात्रा, मंडप उद्घाटन से होगी शुरुआत
चातुर्मास समिति के संयोजक नरेश बड़जात्या, विनोद दोशी व जुगल पाटनी ने बताया 4 नवंबर को घटयात्रा निकाली जाएगी। ध्वजारोहण, मंडप उद्घाटन, आचार्य आज्ञा व श्रीजी की शोभायात्रा के साथ विधान शुरू होगा। सभी अनुष्ठान इंदौर उदासीन आश्रम के बाल ब्रह्मचारी अभय भैया विधानाचार्य के सान्निध्य में होंगे।
84 वेदी पर विराजमान होंगे 84 भगवान
चातुर्मास समिति के प्रचार प्रसार संयोजक मनीष जैन ने बताया कार्यक्रम के लिए बड़ा पंडाल तैयार किया है। इसमें 84 वेदियों पर 84 भगवान विराजमान होंगे। एक मंडल पर एक परिवार के 10 व्यक्ति पूजन लाभ ले सकेंगे। ट्रस्ट ने अलग से जोड़ों व अकेले बैठकर विधान का लाभ लेने की व्यवस्था की है। आयोजन में पहले दिन 8, दूसरे दिन 16, तीसरे दिन 32, चौथे दिन 64, पांचवें दिन 128, छठे दिन 256, 7वें दिन 512 व 8वें दिन 1024 अर्घ्यों की पूर्णाहूति होगी। साथ ही विश्व शांति हवन के साथ समापन होगा। उन्होंने बताया रोजाना सुबह श्रीजी का अभिषेक, शांतिधारा, मुनिश्री के प्रवचन, नित्य नियम पूजन, मंडल पूजन, दोपहर में मुनिश्री की आहार चर्या, श्रावकों का भोजन होगा। शाम को मुनिश्री शंका समाधान करेंगे। भोजनशाला की भी अलग-अलग व्यवस्था की है। इसमें त्यागी वृत्तियों, विधान में बैठने वालों, सामान्य व मुनिश्री के आहार के लिए अलग व्यवस्था की गई है।
— अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी