जैन धर्म के पवित्र सिद्धक्षेत्र श्री सम्मेद शिखर जी को विश्व विरासत का दर्जा दिये जाने का रास्ता अब साफ होने लगा है। यूनेस्को र्वल्ड हेरिटेज की लिस्ट में इसे शामिल कराने का प्रयास किया जा रहा है। इस संबंध में सांस्कृतिक कार्य निदेशालय ने भारतीय पुरातत्व सव्रेक्षण विभाग को श्री सम्मेद शिखर जी (पारसनाथ) का इतिहास और कुछ छात्राचित्र उपलब्ध कराये हैं। अब इसे यूनेस्को के पास भेजा जाएगा। वहां से हंडी मिलने के बाद यह जैन तीर्थ का नाम विश्व विरासत में शामिल हो जाएगा।
ज्ञातव्य हो कि झारखंड राज्य के गिरिडीह में श्री सम्मेद शिखर लगभग 1350 मीटर ऊंचे पहाड़ पर जैन धर्म के 24 तीर्थकरों में से 20 तीर्थकरों ने इसी स्थान से मोक्ष प्राप्त किया था। इस तीर्थक्षेत्र में पूरे वर्ष पूरे देश से श्रद्धालुगण पहुंचते रहते हैं। जैन श्रद्धालु प्रात: कालीन रात के अंधेरे में ही नंगे पैर बिना कुछ खाये पिये 18 मील की चढ़ाई-उतराई की दुगर्भ यात्रा करते हैं और उनमें ऐसा श्रद्धाभाव रहता है कि पूरी यात्रा के दौरान बेहद उत्साहित रहते हैं।
इस स्थान को र्वल्ड हेरिटेज में शामिल कराने के लिए गिरिडीह के अधिवक्ता सह सामाजिक कार्यकर्ता प्रिय ने पहल शुरु की थी। उन्होंने वर्ष 2016 में भारतीय पुरातत्व सव्रेक्षण विभाग के निदेशक को इसके लिए पत्र भेजा था, जिसमें श्री सम्मेद शिखर जी को पूरे विश्व विरासत में शामिल करने का अनुरोध किया गया था।