आगरा। 7 अगस्त को श्री 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर के आचार्य शांतिसागर सभागार हरीपर्वत में निर्यापक मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि पुरुष तीन अवस्थाओं में मांगलिक होता है, एक साधु दूसरा राजा और तीसरा जब कोई धोती-दुपट्टा पहनकर अष्टद्रव्य लेकर घर से मन्दिर के लिए निकलता है। वह कलश से भी अधिक मांगलिक है। कि 24 घंटे का एक क्षण भी हमारे हाथ में नहीं है। दुनिया हमें नहीं देख रही है, हम दुनिया को चाह रहे हैं। हमारी गलती है क्योंकि हम पुद्गल को चाह रहे हैं। हम दूसरे का नाम ले लेकर के अपनी जिंदगी खत्म कर देंगे। धन हमारे हाथ मे है, हमे डर है कि कोई हमे लूट न ले।
जिसे नींद आ जाये उससे बड़ा अमीर नही और जिसकी नींद हर जाए उससे बड़ा गरीब नहीं।किसी व्यक्ति को प्रसन्न करना है तो देखो कि वो किस चीज से परेशान है,उसकी चाहत क्या है,वो किस चीज के लिए परेशान है। जिसको जितने जल्दी नींद आती है समझना उससे बड़ा कोई बादशाह नही है। जिसको हम ठुकरा रहे हैं शायद वही सत्य है, हम सौधर्मेन्द्र बनना चाहते हैं और सौधर्मेन्द्र मनुष्य बनने को तरसता है।
जिस समय आप प्रवचन सुन रहे हैं, जिस समय आप मुनिराज की अंजुली में ग्रास रखते हैं। जिस समय आप भगवान के दर्शन करते हैं देव कहते हैं कि धन्य हैं ये श्रावक भगवान के पास मूल शरीर से आ गया क्योंकि वे देव स्वयं नहीं आ पाते। कभी कोई देव तुम्हें परेशान करने लगे तो जाओ वो तुम्हारा बालबांका भी नही कर पायेगा क्योंकि तुम्हारे पास णमोकार मंत्र है, तुम कहना है कि मैं सुधासागर जी महाराज के शिविर का शिविरार्थी है तू मेरा कुछ नही बिगाड़ सकता। णमोकार मंत्र जब तक तुम पढ़ रहे हो देव तुम्हे छू नहीं सकता।
अपना ही व्यक्ति दुश्मन बनता है, दुश्मन कोई दुश्मन नही बनता। अपना ही कोई सगा दगा देता है इसलिए दाग अपनो से ही लगवाया जाता है। मत डरो तुम्हारे पास सर्वशक्तिमान मंत्र है, णमोकार मंत्र पढने वाले को ऊपरी बाधाएं नही आती। देवता सबसे अधिक तंत्रविद्या दे करते है। कभी डर लगे तो तुम णमोकार मंत्र घेरा बनाकर बैठ जाना कोई भी देव तुम्हारे घेरे को भेद नही पायेगा। तंत्र विद्या से डरना नही,तुम्हारे घर मे कोई नीबू फेक जाए,आप मेरा नाम लेकर लात मार देना या,उस पर थूक देना और फिर उसके हाल-चाल लें लेना जिसने नीबू फिकवाया है। यदि किसी दुश्मन से परेशान हो कि इसने मेरी दुकान को बांध दिया है कुछ भी नही करना एक धोती, दुपट्टा खरीदना मंदिर के नाम का और उससे भगवान का अभिषेक करो। वो भगवान का अभिषेक किया हुआ धोती-दुप्पटा सुख रहा है उस घर मे नीबू टोना- टोटका करने वालो का प्रभाव नही पड़ता, देव उसे छू नही सकते।
भूलकर बड़ो की वस्तुओं का प्रयोग नही करना यदि किया है तो उतना वापिस लौटकर देना। मंदिर का वस्तुओं का प्रयोग तुमने किया है तो ईमानदारी से मंदिर से निकलने से पहले गुल्लक में राशि डाले वापिस आना नही। कितनी द्रव्य चढ़ाई कितना जल प्रयोग किया| कितनी लाइट प्रयोग की।अन्यथा निर्माल्य के दोष से बच नही पाओगे। पूरा हिसाब लगाओ तो पाओगे कि आज तक मैंने मंदिर से पाप ही पाप कमाया है। एक मन्दिर के नाम से बच्चो के लिए धोती-दुप्पटा अवश्य रखना,हफ्ते में एक दिन जाएगा। उसकी इतनी सकारात्मक ऊर्जा होती है कि वो उसके जीवन को मांगलिक बनाये रखता है। पुरुष तीन अवस्थाओं में मांगलिक होता है,जब साधु बनता है,राजा हो और तीसरा जब कोई धोती-दुपट्टा पहनकर अष्टद्रव्य लेकर घर से मन्दिर के लिए निकलता है। वह कलश से अधिक मांगलिक है।
धर्मसभा का शुभारंभ मंगलाचरण के साथ हुआ। इस दौरान श्री दिगंबर जैन धर्म प्रभावना समिति के पदाधिकारियों ने मुनिश्री के समक्ष श्रीफल भेंटकर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर श्री दिगंबर जैन धर्म प्रभावना समिति के अध्यक्ष प्रदीप जैन पीएनसी हीरालाल बैनाड़ा, पन्नालाल बैनाड़ा, नीरज जैन जिनवाणी, विवेक बैनाड़ा,निर्मल मौठया, मनोज जैन बाकलीवाल अमित जैन बॉबी, जगदीश प्रसाद जैन, राजेश जैन सेठी, अनिल जैन रईस, शैलेंद्र जैन रपरिया, अंकेश जैन, आशीष जैन मोनू मीडिया प्रभारी, शुभम जैन मीडिया प्रभारी, नरेश जैन लुहारिया, पंकज जैन, राकेश जैन पर्देवाले, समस्त आगरा सकल जैन समाज के लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे|
— आशीष जैन मोनू, शुभम जैन