सिरोही नगर के देवधरा अबरुदांचल में 13 साल से निर्माणाधीन अद्भुत कला से सुसज्जित जैन मंदिर की प्रतिष्ठा होने जा रही है। नगर के जीरावल तीर्थ में 13 सालों से निर्माणरत मंदिर की प्रतिष्ठा होने से नगर के धार्मिक इतिहास में स्वर्णिमय अध्याय जुड़ने जा रहा है। प्रतिष्ठा महोत्सव कार्यक्रम की शुरूआत 25 जनवरी से हो गई है और 3 फरवरी तक चलेगा। आपको जानकार खुशी होगी कि आयोजन का सानिध्य देश भर से आये हुए हजारों संत करेंगे साथ ही कार्यक्रम में लाखों-लाख श्रद्धालु शामिल होंगे। आयोजन के आमन्त्रण के लिए एक वर्ष पहले ही आमन्त्रणरथ लगभग 15 हजार किमी की यात्रा कर नगर-नगर में भ्रमणरत है।
महोत्सव में पहली बार जर्मनी से आया टेंट लगाया जा रहा है, जिसमें लगभग 50 हजार से ज्यादा श्रद्धालु एक साथ बैठ सकते हैं। महोत्सव में भंवर दोषी भी आए हुए हैं, जो मुनि भव्य रत्न के नाम से विख्यात हैं। ये करीब 18 माह पूर्व एक बड़े व्यवसायी थे और जिन्होंने अपनी अरबों की सम्पत्ति छोड़कर दीक्षा ग्रहण की थी। 13 साल से निर्माणाधीन जीरावला पार्श्वनाथ जैन मंदिर लगभग 4.66 लाख वर्ग फीट में बना हुआ है, जिसमें मुख्य मंदिर लगभग 36 हजार वर्ग फीट में बना है। मंदिर को माउंटआबू के दिलवाड़ा और रणकपुर जैन मंदिर की कलात्मक नक्कासी को शामिल किया गया है। मंदिर के अलावा पार्क, वाटिका आदि भी होंगी।
पूरे परिसर में विशाल 11 महाप्रवेश द्वार बनाये गये हैं। इसके निर्माण में लगभग 50 लाख घट फिट मकराना का सफेद पत्थर लगा है और बाकी का जैसलमेर से मंगाया हुआ पत्थर लगा है। मुख्य मंदिर में भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा सहित अन्य कई मंदिर भी हैं। मंदिर के अलावा परिसर में 3 मंजिला विशाल भोजनशाल भी बनायी गयी है, जिसमें एक साथ हजारों श्रद्धालु भोजन ग्रहण कर सकते हैं। इसके अलावा 60 हजार वर्ग फीट में धर्मशाला का निर्माण भी किया गया है।
जानकारी के अनुसार यह मंदिर 2800 वर्ष प्राचीन है। इसमें विराजित मूल प्रतिमा श्री जीरावला पार्श्वनाथ की है। मंदिर का निर्माण लगभग 2800 वर्ष पूर्व रद्यपुर नगर के राजा चंद्रयश ने दूध और बालू से इसका निर्माण किया था। कालांतर में उक्त प्रतिमा भूमिगत हो गई। इसके बाद निकट के गांव में इस प्रतिमा के दबे होने का स्वप्न आया। इसके बाद सिंहोली नदी के समीप देवत्री गुफा से प्रतिमा प्रगट हुई।