गुजरात के जूनागढ़ में गिरनार पर्वत पर जैन धर्म के 22वें तीर्थकर भगवान नेमिनाथ ने मोक्ष की प्राप्ति की थी। इसके अलावा अनेकों मुनियों ने इसी पर्वत पर तपस्तया कर आत्मसाधना में लीन हो गये। इसीलिए गिरनार पर्वत जैन धर्माम्बलियों के लिए पूजनीय है कितुं धीरे-2 वहां कुछ असमाजिक तत्वों द्वारा अपने निजी स्वार्थ के लिए पर्वत पर अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित कर अपना दबदवा बनाते जा रहे हैं
यहां तक कि जैन धर्मावलम्बियों से बिना वजह झगड़ा आदि भी करते हैं। इसी संबंध में सकल दिगम्बर जैन समाज एवं श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन (तीर्थ संरक्षिणी) महासभा के संयुक्त तत्वाधान में भगवान नेमीनाथ की मोक्ष स्थली गिरनार की पांचवी टोंक पर कुछ तत्वों द्वारा जबरन कब्जा कर लेने के विरोध में वहां के अतिरिक्ति जिला कलेक्टर, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं देश के गृहमंत्री के नाम ज्ञापन जारी किया है।
समाज के अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत ने बताया कि जूनागढ़ (गुजरात) के गिरनार पर्वत की पांचवी टोंक पर जबरन कुछ असमाजिक तत्वों ने कब्जा कर मोन्यूमेट के ब दलाव किया जा रहा है। जबकि यह सदियों से जैन समाज का पूजा स्थल रहा है। इससे जैन समाज में जबर्दस्त रोष है। दिये गये ज्ञापन में केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार से मांग की है कि गिरनार पर्वत पर 15 अगस्त 1947 से पूर्व की स्थित बहाल की जाए और चेतावनी दी है कि यदि समय रहते गिरनार पर्वत से कतिपय असमाजिक तत्वों को नहीं हटाया गया तो सकल दिगम्बर जैन समाज उग्र आंदोलन करेगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।