दूसरों की मदद करना सीखिये अपने फायदे के बिना, दूसरों से मिजला-जुलना सीखिये स्वार्थ के बिना, मुस्कराना सीखिए सेल्फी के बिना। कड़वे प्रवचनों के प्रख्यात मुनिश्री तरुण सागर जी ने अपनी 15दिवसीय प्रवचन श्रृंखला की शुरुआत करते हुए रविवार को राजस्थान के सीकर नगर स्थित रामलीला मैदान के मंच से कही। उन्होंने कहा आदमी के चेहरे से मुस्कराहट ऐसे गायब हो गई है, जैसे चुनाव जीतने के बाद नेता गायब हो जाता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को किसी भी हाल में मुस्कराना नहीं छोड़ना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि गरीब की समस्या है कि क्या खाये और अमीर की भी अपनी समस्या है कि क्या खाये तो भूख लगे। सभी की समस्याएं समान होती हैं, इसलिए जीवन खुश और प्रफुल्लित रहना है तो जो प्राप्त हुआ है, उसे पर्याप्त मान उसमें संतुष्ट होकर जीने की आदत डालो।
मुनिश्री ने मां की महिमा को बताते हुए कहा कि ऋषियों, मुनियों ने मां की महिमा का बखान किया है किंतु बाप के बारे में कुछ भी नहीं लिखा। जब आप मां बोलते हैं तो आपके होंठ खुलते हैं और जब बाप बोलते हैं तो होंठ बंद होते हैं। बेटा अपनी मां के सामने तो बोलता है किंतु बाप के सामने बोलती बंद हो जाती है। पुत्र के लिए पिता गीता का स्वरूप है, जो औलाद के कष्टों को पी जाता है। उन्होंने कहा कि मां-बाप दोनों का प्यार औलाद के प्रति समान होता है। मां ममतारूपी वात्सल्य भावना से प्रेरित होती है और बाप अंदर से करुणामयी किंतु बाहर से कठोर एवं अनुशासन परक होता है। इसलिए प्रत्येक बेटे-बेटी को अपने मां-बाप दोनों का समान भाव से आदर और सम्मान करना चाहिए।
आज का व्यक्ति सुबह से उठकर रात को सोते समय तक दौड़-भाग कर रहा है। उसके गले में चैन हैं किंतु जीवन में चैन नहीं है। इसका मुख्य कारण है कि जीवन में जितना मिला, उसमें संतुष्ट एवं तृप्त होकर शांतिपूर्ण जीवन जीने की कला सीखो, न कि हाय-हाय में अपना वर्तमान जीवन को अशांति से भर लो। इस अवसर पर सीकर समाज के लोगों ने बड़ी संख्या में उपस्थित होकर प्रवचनों का लाभ लिया। सायं 06.30 बजे जैन भवन में आनंद यात्रा एवं आरती कार्यक्रम हुआ। इस अवसर पर डॉ. वीके जैन, ईर सिंह राठौड़, शिवभगवान मित्तल,पवन कचौलिया, घनश्याम खंडेलवाल एवं शहर के कई गणमान्य लोग उपस्थित थे साथ ही समस्त चातुर्मास कमेटी एवं महावीर चैरिटी ट्रस्ट के पदाधिकारी सहित जैन समाज के लोग उपस्थित रहे। मंच का संचालन मुनिश्री के संघस्थ ब्रह्मचारी सतीश भैया ने किया।