पीएम नरेन्द्र मोदी पहुंचे श्रवणबेलगोला, लिया जैन संतो-साध्वियों से आशीर्वाद


श्रवणबेलगोला । दिनांक 19 फरवरी 2018 को देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी गोमटेश्वर बाहुबली के महामस्तकाभिषेक महामहोत्सव में भाग लेने कर्नाटक के श्रवणबेलगोला  पहुँचे। जहां पर उन्होंने वहां विराजमान दिगम्बर जैन संतों-साध्वियों से मङ्गल आशीर्वाद प्राप्त किया और एक अस्पताल का भी उदघाटन किया।

इस अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने जो उदबोधन दिया, उस पूरे उदबोधन को लिपिबद्ध कर प्रस्तुत कर रहे हैं डॉ. सुनील जैन संचय ललितपुर-

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा कि -परम पूज्य आचार्य महाराज जी, समस्त पूज्य मुनिराज जी एवं पूज्य गणनी माताजी एवं समस्त आर्यिका माता जी और मंच पर विराजमान कर्नाटक के राज्यपाल श्रीमान बिज्जूभाई बालाजी, केंद्र में मंत्री परिषद के मेरे साथी सदानंद गौड़ा जी, अनंत कुमार जी, पीयूष गोयल जी ,राज्य के मंत्री श्री ए. मंजू जी, यहां के  प्रबंध समिति के श्रीमान चारुकीर्ति भट्टारक स्वामी जी ,जिला पंचायत हासन के अध्यक्ष देवराज जी, विधायकजी और विशाल संख्या में पधारे हुए देश के कोने-कोने से आए हुए सभी श्रद्धालु, माताओं, भाइयों और बहनों यह मेरा सौभाग्य है कि 12 साल में एक बार जो महापर्व होता है उसी कार्यकाल में प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा करने का मेरे पास जुम्मा है और इसीलिए  प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी के तहत उसी कालखंड में मुझे इस पवित्र अवसर पर आप सबके आशीर्वाद प्राप्त करने का सौभाग्य मिला है ।

श्रवणबेलगोला के भगवान बाहुबली महामस्तक अभिषेकम इस अवसर का और यहां कितने आचार्य भगवंत, मुनि और माताजी के एक साथ दर्शन प्राप्त करना उनके आशीर्वाद प्राप्त करना ये अपने आप में एक बहुत बड़ा सौभाग्य है।

जब भारत सरकार के जो प्रस्ताव आए थे जहां पर आप लोगों के सुविधाओं को देखकरके, वैसे कुछ व्यवस्था ऐसी होती है कि आईकोलॉजी सर्वे डिपार्टमेंट को कुछ  चीजें करने में दिक्कत होती है। कुछ ऐसे कानून और नियम बने होते हैं ।लेकिन इन सबके बावजूद भी भारत सरकार यहां पर आने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए जितना भी कर  सकती है जो -जो व्यवस्था खड़े करने की आवश्यकता होती है ,उन सब में पूरी जिम्मेदारी के साथ अपना दायित्व निभाने का प्रयास किया है और यह हमारे लिए बहुत ही संतोष की बात है आज मुझे एक अस्पताल के लोकार्पण का भी अवसर मिला . बहुत लोगों की मान्यता यह है कि हमारे देश में धार्मिक प्रवृत्तियां तो बहुत होती हैं लेकिन सामाजिक प्रवृत्तियां कम होती हैं ये परसेप्शन सही नहीं हैं।

भारत के संत महंत आचार्य मुनि भगवंत सब कोई जहां है जिस रूप में हैं ,समाज के लिए कुछ ना कुछ भला करने के लिए कार्यरत रहते हैं । आज भी हमारी ऐसी महान संत परंपरा रही है कि 20- 25 किलोमीटर के फासले पर यदि कोई भूखा इंसान हैं तो हमारी संत- परंपरा की व्यवस्था ऐसी है कि कहीं ना कहीं उसको पेट भरने का प्रबंध किसी ना किसी संत द्वारा चलता रहता है .कई सामाजिक काम, शिक्षा के क्षेत्र में  काम, आरोग्य के क्षेत्र में काम, व्यक्तियों को नशा से मुक्त करने के काम ,अनेक प्रवृतियां हमारी इस महान परंपरा में आज भी हमारे ऋषि मुनियों के द्वारा उतना ही अथक प्रयास करके चल रहे हैं।

आज जब गोम्टेश थूदी की ओर में नज़र कर रहा था तो मुझे लगा कि मैं आज उसे आपके सामने उद्धत करूं। गोम्टेश थुदी में जिस प्रकार का  बाहुबली का वर्णन किया गया है ,गोम्टेश इस पूरे स्थान का जो पूरा वर्णन किया गया –

अच्छाय-सच्छं जलकंत-गंडं।

आबाहु-दोलतं सुकणणपासं।।

गइंद-सुणडुज्जल-बाहुदण्डं।

तं गोमटेसं पणमामि णिच्चं।।

और इसका मतलब होता है जिनकी देह आकाश के समान निर्मल है,जिनके कपोल ज्जल के समान स्वच्छ हैं, जिनके कर्ण पल्लव स्कन्धों तक दोलायित हैं, जिनके दोनों उज्ज्वल भुजाएँ गजराज की सूंड के समान हैं, ऐसे उन गोमटेश स्वामी को मैं प्रतिदिन प्रणाम करता हूँ।

पूज्य स्वामी जी ने मुझ पर जितने आशीर्वाद बरसा सकते हैं ,बरसाए । मेरी मां का भी स्मरण किया। मैं उनका बहुत-बहुत आभारी हूं इस आशीर्वाद को देने के लिए।

देश में समय बदलते हैं ,समाज जीवन में बदलाव आने की परंपरा है ।यह भारतीय समाज की विशेषता रहती है । समाज में जो कुरीतियां प्रवेश कर जाती हैं और कभी-कभी उसको आस्था का रुप दिया जाता है यह हमारा सौभाग्य है कि हमारी समाज व्यवस्था में से ही ऐसे सिद्ध पुरुष पैदा होते हैं ,ऐसे संत पुरुष पैदा होते हैं ,ऐसे मुनि पैदा होते हैं, ऐसे आचार्य भगवंत पैदा होते हैं ,जो उस समय समाज को सही दिशा दिखाते हैं। उस से मुक्ति पाकर के जीवन जीने के लिए प्रेरित करते रहते हैं।

हर 12 वर्ष में मिलने वाला एक प्रकार से कुंभ का ही अवसर है। यहां सब मिलकर के सामाजिक चिंतन करते हैं, समाज को आगे 12 साल के लिए कहां ले जाना है ,समाज को उस रास्ता को छोड़कर इस रास्ते पर चलना है, क्योंकि हर कोने से संघ का ,मुनि भगवंत, आचार्य ,सब माताजी वहां के क्षेत्र का अनुभव लेकर आते हैं ,चिंतन मनन होता है, विचार विमर्श होता है और उसमें से समाज के लिए अमृत रूप कुछ चीजें हम लोगों को प्रसाद के रूप में प्राप्त होती हैं और जिसको हम लोग जीवन में उतारने के लिए भरसक प्रयास करते हैं ।

आज बदलते हुए युग में भी आज यहां एक अस्पताल का मुझे  लोकार्पण करने का अवसर मिला। इतने बड़े अवसर के साथ एक बहुत बड़ा सामाजिक कार्य। आपने देखा होगा इस बजट में हमारी सरकार ने एक बहुत बड़ा कदम उठाया आयुष्मान भारत । इस योजना के तहत कोई भी गरीब परिवार, उसके परिवार पर बीमारी आ जाए तो सिर्फ एक व्यक्ति बीमार नहीं होता है एक प्रकार से उस परिवार की दो तीन पीढ़ी बीमार हो जाती हैं क्योंकि इतना आर्थिक खर्च हो जाता है कि बच्चे भी नहीं चुका पाते और पूरा परिवार तबाह हो जाता है। एक बीमारी पूरे परिवार को खा जाती है। ऐसे समय समाज और सरकार, हम सबका दायित्व बनता है कि ऐसे परिवार को संकट के समय हम उसका हाथ पकड़ें, उसकी चिंता करें और इसीलिए भारत सरकार ने आयुष्मान भारत योजना के तहत एक साल में परिवार में कोई भी बीमार हो जाए, 1 वर्ष में ₹500000 पांच लाख तक का उपचार का खर्चा, दवाई का खर्चा ,ऑपरेशन का खर्चा ,अस्पताल में रहने का खर्चा, ₹500000 पांच लाख तक का खर्च का प्रबंध इंश्योरेंस के माध्यम से भारत सरकार करेगी। यह आजादी के बाद भारत में किया गया कदम पूरे विश्व में, पूरी दुनिया में इतना बड़ा न कभी किसी ने उठाया है जो इस सरकार ने उठाया है। ये तभी संभव होता है कि जब हमारे शास्त्रों ने , हमारे ऋषियों ने, हमारे मुनियों ने उपदेश दिया- सर्वे भवंतु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयः। और सर्वे सन्तु निरामयः इस संकल्प को पूरा करने के लिए एक-के-बाद एक कदम उठा रहे हैं।

मुझे आज सब आचार्यगण का, सब मुनिवर्य का, सब माताजी का, पूज्य स्वामीजी का आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर मिला। मैं अपने आपको सौभाग्यशाली समझता हूं। मैं फिर एक बार इस पूण्य स्थली पर आकर अपने आपको धन्य महसूस करता हूँ। बहुत-बहुत धन्यवाद।

इस अवसर पर पूज्य भट्टारक स्वस्ति श्री चारुकीर्ति जी स्वामी ने प्रधानमंत्री जी का अभिनन्दन किया। परम पूज्य आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी महाराज ने प्रधानमंत्री को साहित्य प्रदान किया।

प्रस्तुति : डॉ सुनील जैन संचय


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