पाठशाला यानि संस्कार मंदिर- मालू


सैकड़ों विद्यार्थियों को पारितोषिक देकर किया सम्मानित।

बाड़मेर, 15 अक्टूम्बर। पाठशाला अर्थात् संस्कार मंदिर। जैन कुल में जन्म लेने से आप ओर हम जैन तो बन गए लेकिन जैन कैसे होेने चाहिए उसका सही शिक्षण पाठशाला से प्राप्त होता है। व्यक्ति के जीवन मंे जितनी जरूरत व्यवहारिक शिक्षण की होती है, उससे कई गुणा अधिक आवश्यकता संस्कारों के बीजारोपण करने वाली जैन धार्मिक शिक्षा की है, जो शिक्षा हमें जैन धार्मिक पाठशाला के माध्यम से प्राप्त होती है। यह बात श्री कुशल विचक्षण जैन धार्मिक पाठशाला के अध्यक्ष रीखबदास मालू ने पाठशाला के बच्चों को संबोधित करते हुए कही। मालू ने कहा कि शीघ्र ही पाठशाला के बालकांे को धार्मिक तीर्थयात्रा में ले जायेगें।

श्री कुशल विचक्षण जैन धार्मिक पाठशाला के सचिव शंकरलाल धारीवाल ने बताया कि पाठशाला में 2 प्रतिक्रमण सूत्र, वंदितू सूत्र कंठस्थ करने वाले बालक-बालिकाओं को दानवीर भामाशाह सतीशकुमार मेवाराम छाजेड़ द्वारा सम्मानित किया गया एवं साथ ही कुशल संस्कार कुंज द्वारा आयोजित जैन पाठ्यक्रम भाग प्रथम एवं ़िद्वतीय में प्रथम वरीयता प्राप्त करने वाले जसू राणामल जैन, कुनाल जगदीश सिंघवी एवं द्वितीय वरीयता प्राप्त करने वाले भाविका जितेन्द्र बांठिया व ईशा प्रकाशचंद गोलेच्छा को चांदी का सिक्का एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। शेष विद्यार्थियों को जेठमल जैन एडवोकेट, बाबूलाल टी. छाजेड़, गौतमचंद डूंगरवाल, भूरचंद संखलेचा, पीडी मालू, भंवरलाल मालू, मीठालाल लूणिया, कंचन धारीवाल, शांति सेठिया द्वारा सांत्वना पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में सर्वप्रथम श्रेष्ठीवर्य सतीशकुमार छाजेड़ का सज्जनराज मेहता, शंकरलाल धारीवाल, बाबूलाल टी. बोथरा, मांगीलाल संखलेचा द्वारा तिलक, माला, साफा एवं श्रीफल देकर अभिनन्दन किया गया।

सतीशकुमार छाजेड़ कहा कि बच्चे हमारे भविष्य के कर्णाधार है इनके भरोसे पर हमारा जिनशासन है तथा हमारे शासन की अनमोल धरोहर है। हमारा कर्तव्य है कि हम हमारी संतानों में अच्छे संस्कारों का सिंचन करे। पाठशाला के माध्यम से ही हम हमारी संतान में अच्छे संस्कारों का बीजारोपण कर सकते है। छाजेड़ कहा कि हम हमारे जीवन में जैन सूत्र का अध्ययन नहीं कर पाये जिसकी हमें ग्लानि है लेकिन हमारी संताने जैन प्राकृत एवं संस्कृत सूत्रों का अध्ययन कर रही है जो हमारे लिए बड़े हर्ष की बात है।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए चन्द्रप्रकाश बी. छाजेड़ ने कहा कि पाठशाला हमें सम्यक ज्ञान देती है। जो बच्चों में शील रक्षा के संस्कारों का रोपण करे, जो शासन रक्षा का बल दे, जो हमें खुमारी, धैर्य, सŸव, शौर्य, साहस से जीना सिखाये और जो दुःख में समाधि एवं समाधान की राह दिखाये उसका नाम पाठशाला है तो आओ फिर क्यूं न चले हम भी साथ, एक साथ धार्मिक पाठशाला। छाजेड़ ने बताया कि गत् माह में इन्ही पाठशाला के दर्जनों बच्चों द्वारा गुड़ामालानी में साध्वी सुरंजनाश्री म.सा. की निश्रा में मां-बाप ने भूलसो नहीं भव्य सांस्कृति कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई थी।

इस अवसर पर पाठशाला के शिक्षक मंडल उदय गुरूजी, मोहित लूणिया, भावना संखलेचा, लक्ष्मी मालू, दीपिका मालू, माया बोथरा, योगिता बोहरा, पूजा संखलेचा, सोनू सिंघवी, भावना संखलेचा सहित कई कार्यकर्तागण उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन चन्द्रप्रकाश बी. छाजेड़ ने किया।

 

 

 

 

 

 

 

 

– चन्द्रप्रकाश बी. छाजेड़


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