राग नहीं तपस्या और वैराग्य की साधना का पर्व है पर्युषण: आचार्य पुलक सागर जी


बांसवाड़ा।  क्रांतिकारी संत भारत गौरव आचार्य श्री पुलक सागर जी महाराज ने कहा पर्युषण पर्व जैन धर्म का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है इसमे उपवास त्याग के माध्यम से आत्मशुद्धि करते है धर्म के मूल सिद्धांतों का पालन करते है एवम विधान पुजा भक्ति दान आदि किये जाते है वर्षायोग समिति के प्रवक्ता महेंद्र कवालिया ने बताया की गुरुदेव ने कहा की जितने भी पर्व आते है उनमे सभी श्रंगार करते है पकवान आदि बनाते है व व्यजन आदि बनाते है लेकिन यह पर्व ऐसा है जहा राग नहीं तपस्या एवं वैराग्य की साधना की जाती है उसी का नाम पर्युषण पर्व हुआ करता है यहा सभी प्रकार के श्रंगार भोगो का त्याग किया जाता है।

यह पर्व त्याग तपस्या के माध्यम से अपनी आत्मा को पवित्र करता है और भीतर के मन को बदल देता है यह एक ऐसा पर्व है अगर 10 दिन अच्छे से साधना कर ली तो यह आपके जीवन मे बहुत उपयोगी सिद्ध होगा एक बात समझना आपने अपने जीवन मे जीवन बीमा करा दिया आपकी दुर्घटना के बाद परिवार को मिलेगा लेकिन अगर तुमने जिनेद्र भगवान के यहा साधना कर जो जीवन बीमा कराओगे तो तुम्हारे जन्म जन्म तक काम आयेगा।

 

    — अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी


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