परम पूज्य आर्यिका 105 सौभाग्य मति माता जी का चातुर्मास निष्ठापण ओर पिच्छी परिवर्तन समारोह झुमरीतिलैया में


श्री दिगंबर जैन समाज के नेतृत्व में दो दिवसीय पिच्छीका परिवर्तन ओर चातुर्मास समापन समारोह 2 दिवसीय कार्यक्रम के साथ संपन्न हुआ। जिसमें 15.11 को 35 मंडलीय णमोकार महामंत्र विश्व शांति विधान का आयोजन किया गया जिसमें देवाधिदेव 1008 आदिनाथ भगवान की प्रतिमा पर मस्तिकाभिषेक के साथ समाज के लोगों द्वारा विश्व शांति धारा किया गया। विश्व शांति महामंडल विधान पर समाज के द्वारा 58 अर्घ्य के साथ श्री फल प्रभु के चरणों मे चढ़ाया गया।

इस अवसर पर आर्यिका 105 सौभाग्य मति माता जी ने कहा जैन धर्म का सबसे बड़ा मंत्र अनादि निधन णमोकार महामंत्र लोगों के हर कष्ट दूर करता है और लोग हर समय इस णमोकार मंत्र का जाप कर अपने जीवन में सुख शांति का अनुभव करते हैं। इस महामंत्र के जाप से मनुष्य के जीवन में सुख शांति बनी रहती है । संध्या में भव्य आरती का आयोजन हुआ सभी कार्यक्रम श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर के बगल प्रांगण में किया गया ।16 तारीख को सम्मेद शिखरजी तीर्थ राज में विराजमान होने वाली प्रतिमा का मंगल आगमन नये मंदिर जी में हुआ जहाँ से शोभा यात्रा के द्वारा नगर भ्रमण करते हुए श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर के बगल प्रांगण में लाया गया जहां समाज के सैकड़ों लोगों द्वारा प्रथम बार पाषाण की भब्य 24 प्रतिमा पर महा मस्तकाभिषेक शांति धारा करने का सौभाग्य पाया, इसके पश्च्यात आर्यिका 105 सौभाग्य मति माता की का पीछी परिवर्तन का कार्यक्रम प्रारंभ हुआ जिसमें महिला संगठन की अध्यक्षा के द्वारा मंगलाचरण के साथ कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया

तत्पश्चात आर्यिका 105 सौभाग्य मति माता जी की पाद प्रक्षालन ओर शास्त्र भेट के साथ भक्ति मय संगीतकार के द्वारा पूजन समाज की महिला संगठन के द्वारा किया गया सभी महिलाएं भक्तिमय नृत्य करते हुवे अष्ठ द्रब्य माता के श्री चरणों मे चढ़ा कर पूजा अर्चना की। आज के कार्यक्रम की मुख्य अतिथि शालिनी गुप्ता को इस पूजन में शामिल होने का सौभाग्य मिला साथ ही श्री मति गुप्ता को माता जी के श्री चरणों मे श्री फल भेंट कर मंगल आशीर्वाद लिया समाज के द्वारा श्री मति गुप्ता को माला, तिलक, शाल के साथ प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर श्री मति गुप्ता ने कहा कि में जैन समाज के कार्यक्रम में शामिल होकर अपने आप को गौरवान्वित मानती हूं और माता के दर्शन और आशीर्वाद लेकर मुझे बहुत खुशी हुई।

अंत में माता जी को पिच्छी भेंट करने का सौभाग्य समाज के पदाधिकारी और चतुर्मास कमेटी के सदस्यों के द्वारा किया गया ओर पुरानी पिच्छी लेने का सौभाग्य समाज के 3 परिवारों को प्राप्त हुआ ।इस पर आर्यिका माताजी ने कहा मोर पंख के लिए मयूर के साथ हिंसा नहीं की जाती है बल्कि वह सहज रूप से छोड़ती है और यदि ना छोड़े है तो उसे तकलीफ होती है उपरोक्त पंख जंगल में जंगल मे सहज रूप से उपलब्ध हो जाते हैं जिसे श्रावक के माध्यम से जैन साधु ग्रहण करते हैं ।पिच्छी जैन साधु अपने साथ हमेशा रखते हैं इस पिच्छी के बगैर एक कदम भी नहीं चलते है

इस कार्यक्रम का मंच संचालन उप मंत्री राज जैन छाबड़ा ने की सभी कार्यक्रम संघस्थ बाल ब्रह्मचारी पंकज भैया के सानिध्य में हुवा इस अवसर पर जैन समाज के सभी पदाधिकारी,सभी सदस्य,जैन महिला संगठन की सदस्या, जैन युवक समिति के सदस्य के साथ समाज के सभी वर्ग इस कार्यक्रम में शामिल हुवे। उक्त जानकारी पत्रकार राज कुमार जैन अजमेरा, नवीन जैन ने दी।


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