व्यक्ति को अपने गुण, चरित्र और व्यक्तित्व को निखारना होगा : मुनि प्रमाण सागर महाराज


खामखेड़ा। 52 वर्ष से खामखेड़ा जत्रा में चैत्यालय था जिसे मंदिर का स्वरूप भक्तों द्वारा दिया गया है। बिना धर्म के कर्म सफ ल नहीं हो सकते। यह आष्टा-कन्नौद, खातेगांव मार्ग साधुओं का राजमार्ग हो गया है। धर्म से जुड़े तो भटक नहीं सकते। दुनिया में कहीं भी दुनिया में कहीं भी रहूं, लेकिन धर्म न छूटे यह भावना रखें। गुणों, चरित्र व्यक्तित्व को निखारें। भावनाओं में बड़ी शक्ति है आजकल पढ़े लिखे लोग अधिक हिंसा कर रहे हैं। कम पढ़े लिखे लोग हिंसा नहीं करते।

यह बातें मुनि प्रमाण सागर जीमहाराज ने गांव खामखेड़ा जत्रा में भगवान महावीर प्रभु की प्रतिमा विराजमान कराने के समय व पदमसी के समीप शिवालय वेयर हाउस परिसर में आयोजित शंका समाधान कार्यक्रम में कहीं। मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज ने खामखेड़ा जत्रा के चैत्यालय में भगवान महावीर स्वामी की मनमोहक प्रतिमा को धार्मिक विधि-विधान व मंत्रोच्चार के साथ विराजित कराई। उक्त प्रतिमा नगर के श्रीपाल हेमंत जैन परिवार द्वारा मंदिर में विराजित कराई गई है। मुनिश्री ने कहा कि हमने अपने रहने का घर नहीं बनाया हो, लेकिन भगवान का मंदिर अवश्य बनाएं। यह भावना हमेशा रखना चाहिए।

देव शास्त्र, गुरु का सहयोग मिलता रहे। जीवन का पथ प्रशस्त होता रहेगा। मुनिश्री ने कहा कि खंभे को पकड़कर चक्कर लगाएंगे तो गिरेंगे नहीं, लेकिन खंभा छोड़ते ही गिर जाएंगे। इसी प्रकार संसार के जितने भी चक्कर लगाना है लगाओ, लेकिन धर्म रूपी खंभे को हमेशा पकड़ कर रखो। शिवालय वेयर हाउस में आयोजित कार्यक्रम में मुनिश्री ने अनेक श्रद्धालुओं के प्रश्नों का उत्तर देकर सभी को मंत्रमुग्ध किया।

आपने कहा कि रावण अपने अहंकार के कारण मोक्ष नहीं जा सके। धर्म की प्रभावना के लिए व्यक्तित्व को प्रभावी बनाओ। मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज ने कहा कि  व्यक्ति यदिअपने गुण, चरित्र, व्यक्तित्व को निखारोंगे  तो निश्चित आपको देखकर हर व्यक्ति प्रसन्न होगा।

 

— अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी


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