गंजबासौदा। त्योंदा रोड स्थित शांतिनाथ जिनालय मे मंगलवार को प्रवचन के दौरान मुनि श्री निर्णय सागरजी एवं पदम सागर जी महाराज ने कहा कि अभक्ष वस्तुओं मदिरा और मांस मनुष्यों को तामसी और हिंसक बनाता है।
वर्तमान समय मे हो रहे अपराधों के लिए पूर्ण रूप से मनुष्यों द्वारा किया जा रहा तामसिक भोजन जिम्मेदार है, न केवल जैन धर्म मे अपितु वैष्णव धर्म ग्रंथों में ऋषि मुनियों द्वारा भी प्याज लहसुन आदि को राक्षसी आहार बताया गया है तथा इनका भोग भगवानों को नहीं लगाया जाता है। शास्त्रों में कहा भी गया है जैसा खावे अन्न वैसा होवे मन, जैसा पीवे पानी वैसी होवे वाणी, अगर आप राक्षसी आहार का सेवन करेंगे तो आप में दैवीय प्रवृत्तियां उत्पन्न नहीं हो सकतीं।
इसके साथ ही मुनिश्री द्वारा आगामी पाठशाला शिक्षक संगोष्ठी एवं प्रशिक्षण शिविर में होने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा के बारे में बताया पाठशाला शिक्षक संगोष्ठी एवं प्रशिक्षण शिविर 27 से 29 दिसंबर तक महावीर विहार मे आयोजित किया जा रहा है। गौरव भण्डारी ने बताया इसमें की शाम के समय प्रदेश के अनेक स्थानों से आए वक्ता धर्म और आचरण की जानकारी देंगे।
मुनिश्री ने खान-पान के बारे में बताते हुए कहा कि जैसा मनुष्य खाता-पिता है वैसा ही उसका मन-मस्तिष्क काम करता है। यदि मनुष्य तामसिक भोजन करता है तो उसका स्वभाव भी हिंसक हो जाता है।
— अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी