Jainism – में अहिंसा का विशेष महत्व है : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

साभार- twitter

नासिक के मांगीतुंगी तीर्थक्षेत्र का नाम जैन धर्म के पहले तीर्थकर भगवान ऋषभदेव की विशालकाय 108 फीट ऊंची खड़गासन प्रतिमा के कारण देश ही नहीं पूरे विश्व में चर्चा है और यहां दूर-दूर से श्रद्धालुगण दर्शन एवं अभिषेक के लिए प्रतिवर्ष आते रहते हैं। 22 अक्टूबर को मागीतुंगी तीर्थक्षेत्र पर जैन मूर्ति निर्माण समिति के सानिध्य में विश्वशांति अहिंसा सम्मेलन आयोजन हुआ, जिसमें देश के महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी पहुंचे।

सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी ने कहा कि जैन धर्म मानव के कल्याण और अनुकम्पा के लिए अहिंसा के महत्व पर विशेष महत्व देता है। उन्होंने आगे बोलते हुए कहा कि जैन परम्परा में अहिंसा परमो धर्म का सिद्धांत न केवल शारीरिक हिंसा को समाप्त करने के लिए है बल्कि मानव के कल्याण और अनुकम्पा के लिए सर्वोपरि है। राष्ट्रपति ने कहा कि जैन धर्म में भगवान महावीर ने अपरिग्रह को विशेष महत्व दिया। आज मानव प्रकृति का बेजा दोहन करती जा रही है। इसी का परिणाम है कि हमें जयवायु परिवर्तन जैसी आपातकालीन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

उन्होंने मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) के तीर्थकर महावीर विश्वविद्यालय (Teerthanker Mahaveer University) को भगवान ऋषभदेव अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति सुरेश जैन ने पुरस्कार में 11 लाख नगद और प्रशस्ति पत्र ग्रहण किया। इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़वीस ने जैन तीर्थस्थल मागीतुंगी के विकास के लिए पर्याप्त राशि देने का आश्वासन दिया।


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