केंद्र सरकार ने गुरुवार को झारखंड में जैनियों के धार्मिक स्थल ‘सम्मेद शिखरजी’ से संबंधित पारसनाथ पहाड़ी पर सभी प्रकार की पर्यटन गतिविधियों पर रोक लगा दी और झारखंड सरकार को इसकी शुचिता अक्षुण्ण रखने के लिए तत्काल सभी जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिये, लेकिन अब आदिवासी ने इस इलाके पर अपना दावा जताया है।
संथाल जनजाति के नेतृत्व वाले राज्य के आदिवासी समुदाय ने पारसनाथ पहाड़ी को ‘मरांग बुरु’ (पहाड़ी देवता या शक्ति का सर्वोच्च स्रोत) करार दिया है और उनकी मांगों पर ध्यान न देने पर विद्रोह की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा अगर नौ व 10 जनवरी तक झारखंडियों के पक्ष में वार्ता नहीं हुई तो 15 जनवरी को पारसनाथ को घेर लिया जाएगा। हर हाल में 15 जनवरी को मकर- संक्रांति मेला यहां लगेगा। लाखों लोग यहां आएंगे। जो भी उसे रोकने का कोशिश करेगा, इस अहिंसा की भूमि में उसे बख्शा नहीं जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय संथाल परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष नरेश कुमार मुर्मू ने दावा किया, ‘‘अगर सरकार मरांग बुरु को जैनियों के चंगुल से मुक्त करने में विफल रही तो पांच राज्यों में विद्रोह होगा.’’ उन्होंने कहा, ‘हम चाहते हैं कि सरकार दस्तावेज़ीकरण के आधार पर कदम उठाए। (वर्ष) 1956 के राजपत्र में इसे ‘मरांग बुरु’ के रूप में उल्लेख किया गया है… जैन समुदाय अतीत में पारसनाथ के लिए कानूनी लड़ाई हार गया था।’’
संथाल जनजाति देश के सबसे बड़े अनुसूचित जनजाति समुदाय में से एक है, जिसकी झारखंड, बिहार, ओडिशा, असम और पश्चिम बंगाल में अच्छी खासी आबादी है और ये प्रकृति पूजक हैं।
मुर्मू ने दावा किया कि परिषद की संरक्षक स्वयं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और इसके अध्यक्ष असम के पूर्व सांसद पी मांझी हैं. एक अन्य आदिवासी संगठन ‘आदिवासी सेंगल अभियान’ (एएसए) ने भी यह आरोप लगाया कि जैनियों ने संथालों के सर्वोच्च पूजा स्थल पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है. इसके अध्यक्ष पूर्व सांसद सलखन मुर्मू ने चेतावनी दी कि अगर केंद्र और राज्य सरकार इस मुद्दे को हल करने तथा आदिवासियों के पक्ष में निर्णय देने में विफल रहे तो उनका समुदाय पूरे भारत में सड़कों पर उतरेगा।
इससे पहले दिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इस संबंध में राज्य सरकार को एक कार्यालय ज्ञापन भेजा है। यह घटनाक्रम इस मुद्दे पर दिन के पूर्वार्द्ध में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की जैन समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात के बाद सामने आया है। यादव ने आश्वासन दिया था कि सरकार ‘सम्मेद शिखरजी पर्वत क्षेत्र’ की पवित्रता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है, जो न केवल जैन समुदाय, बल्कि पूरे देश के लोगों के लिए एक पवित्र स्थल है. झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित सम्मेद शिखरजी जैन समुदाय का सबसे बड़ा तीर्थस्थल है।
इस बीच, विभिन्न जैन समूहों के प्रतिनिधियों ने इस फैसले के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद ज्ञापित करने को लेकर एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया और कहा कि इससे यह सुनिश्चित होगा कि उनके सबसे पवित्र तीर्थ स्थल की पवित्रता बनी रहेगी।