राष्ट्रसंत मुनिश्री तरुण सागर जी देवलोक गमन के बाद उनको मुखाग्नि दिल्ली- हरिद्वार हाई-वे स्थित मुरादनगर के श्री तरुणसागरम तीर्थस्थल पर दी गई थी। निर्माणाधीन श्री तरुणसागरम तीर्थ स्थल पर ही मुनिश्री तरुण सागर जी की समाधि बनाई जाएगी। इसके लिए जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। बता दें कि मुरादनगर में तरुणसागरम तीर्थ स्थल पहले से ही निर्माणाधीन है। अपने कड़वे प्रवचानों के लिए अपनी विशिष्ट पहचान बनाने वाले मुनिश्री के प्रति जैन ही नहीं अजैनों की भी पूरी भक्ति और श्रद्धा थी और वे सभी मुनिश्री के बातों को सुनने आते थे और अमल भी करते थे। जैन मुनिश्री तरुण सागर जी अपने अंतिम समय में गंभीर पीलिया रोग से ग्रसित हो गये थे और आभास होने पर देवलोकगमन के तीन दिन पूर्व उन्होंने समाधि मरण (संथारा) का प्रण ले लिया था।
समाज के अरुण कुमार जैन ने बताया कि मुनिश्री की अस्थियों और राख को अलग-अलग कलशों में समाधि स्थल पर सुरक्षित रख लिया गया है। जिन कलशों में अस्थियां और रख रखी जाएगी, वे अष्टधातु से निर्मित हैं और उन्हें विशेष तरह की डिजायन से तैयार करवाये गये हैं। इस कलशों पर किसी भी मौसम का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। समाधि स्थल पर जिस स्थान पर मुनिश्री को मुखाग्नि दी गई थी, वहां दो गहरे गडडे खोदे जाएंगे। उक्त गडडों में पूरी विधि-विधान से दोनों कलशो को रखा जायेगा, इसके बाद उनकी समाधि के ऊपर चबूतरा और मुनिश्री की मूर्ति बनाई जाएगी।