मुमुक्षु लोकेश गोलछा बने मुनि शौर्यरत्नसागर।


बाड़मेर। चैहटन नगर से विरात्रा जाने वाली रोड़ पर ढोक ग्राम में नवोदित लब्धिनिधान पाश्र्वनाथ मणिधारी तीर्थ में जैनाचार्य जिनपीयूषसागर सूरीश्वर महाराज की निश्रा व मुनिराज कमलप्रभ सागर, साध्वी प्रगुणाश्री, मित्रांजना श्री के सान्निध्य में आयोजित होने जा रही मुमुक्षु लोकेश गोलछा की ऐतिहासिक दीक्षा महोत्सव के आगाज के साथ ही सांतवे दिन बुधवार को लब्धिनिधान तीर्थ की धन्यधरा पर मुख्य दीक्षा महोत्सव आयोजित किया गया। लब्धिनिधान तीर्थ की धरा पर बुधवार का सूर्य एक नये इतिहास का सर्जन करने के लिए उदित हुआ। प्रसंग बना जगदलपुर(छतीसगढ़) निवासी मुमुक्षु लोकेश गोलछा के भागवती प्रवज्या का। मुमुक्षु लोकेश गोलछा ने मान-सम्मान, सता-सम्पति और वैभव का त्याग कर संयम जीवन अंगीकार कर व ग्राफिक डिजायनर की योग्यता रखने वाला लोकेश ने जैनाचार्य जिनपीयूषसागर सूरीश्वर महाराज के वरद्हस्तों से व देशभर से आई हजारों की जनभेदनी की उपस्थिति में जैन मुनि दीक्षा ग्रहण की। मुमुक्षु लोकेश गोलछा ने संसारिक ऐश्वर्य को तिलांजलि देकर अपने आत्मा के ऐश्वर्य को प्राप्त करने के लिए लोकेश गोलछा का चोला त्याग कर अपना नया मुनि जीवन की ओर अग्रसर बने।
श्री लब्धिनिधान पाश्र्व-मणिधारी जैन श्वे0 तीर्थ के आसूलाल सेठिया व मिडिया प्रभारी चन्द्रप्रकाश बी. छाजेड़ ने बताया कि बुधवार को प्रातः मुमुक्षु लोकेश गोलछा ने सजधज कर पूजा के वस्त्रों में भाग्यवर्धन पाश्र्वनाथ भगवान की अंतिम बार द्रव्यपूजा की तत्पश्चात् लापसी लुटाने का कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ जिसमें मुमुक्ष लोकेश ने सभी जन को अपने हाथों से लापसी प्रदान दी। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मनोजकुमार हरण ने कहा कि इस धरती का पुण्य प्रभाव है कि 9 माह के भीतर इस तीर्थ पर यह जिनशासन का तीसरा अद्वितीय कार्यक्रम सम्पन्न हो रहा है। जनवरी माह में तीर्थ हेतु भूमि का चयन किया गया मार्च माह मं भूमिपूजन का कार्यक्रम हुआ एवं जून माह में इस तीर्थ पर भाग्यवर्धन पाश्र्वनाथ के चल मंदिर की अंजनशलाका प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई तथा आज पुनः अंजनशलाका व दीक्षा अवसर इस तीर्थ परिसर में आयोजित हुआ। यह इस तीर्थ का पुण्य प्रभाव है। तीर्थ परिसर में सम्पूर्ण भोजनशाला बनाने का लाभ मांगीलाल बाबूलाल आसूलाल डोसी परिवार चैहटन ने लिया।
मुमुक्षु लोकेश गोलछा से बने मुनि शौर्यरत्नसागर- ‘संवेगरंगशाला’ दीक्षा मंडप मं मुमुक्ष लोकेश गोलछा को अंतिम विजय तिलक करने का लाभ भंवरलाल अशोककुमार डोसी परिवार ने लिया जिन्होनें मुमुक्षु के ललाट पर अंतिम विजय तिलक किया तत्पश्चात् मुमुक्षु निकिता बोहरा ने विजय तिलक किया तथा यह भावना व्यक्त कि की आप कर्म शत्रुओं को जीतेने के लिए सयंम रूपी रणभूमि में प्रस्थान पर कर रहे हो वहां आप विजयी होवे तथा अपने आत्मा पर लगे कर्मदल का नाश कर सिद्ध-बुद्ध-निरंजन-निराकर पद को प्राप्त करे। तत्पश्चात् आचार्य भगवंत द्वारा मुमुक्षु को रजोहरण प्रदान किया गया। रजोहरण प्राप्त होते ही मुमुक्षु लोकेश गोलछा मंच नचाने-झूमने लगे तथा पंडाल में एक ही स्वर गूंजायमान हो रहा था राजपथ पर जाने वाले तुम्हे वंदन हमारे। उसके बाद मुमुक्षु ने आचार्य भगवंत से तीन प्रार्थनाएं करते हुए कहा कि है आचार्य देवेश मेरे मुंडन करावे, मुमुक्षु प्रवज्या ग्रहण करावे तथा मुझे संयम वेश प्रदान करे। मुमुक्षु प्रार्थना स्वीकार कर आचार्य भगवंत ने मुमुक्षु का मुंडन किया व उसके बाद तीन बार करेमिभंते के पाठ के साथ मुनि वेश प्रदान किया गया। मुनि वेश पहनकर जब आचार्य भगवंत स्वयं नूतन दीक्षित को अपने कंधों पर उठाकर पंडाले पधारे तो पंडाल में त्याग धर्म ने नमो नमः, विरति धर्म ने नमो नमः, संयम धर्म ने नमो नमः, वंदन हो अणगार का स्वरनाद होने लगा। उसके बाद मुमुक्ष के नूूतन नामकरण करने का लाभ कुशल दर्शन मित्र मंडल लिया तथा नूतन दीक्षित का नया नाम लोकेश गोलछा से मुनि शौर्यरत्नसागर दिया गया।
विभिन्न संघों ने नूतन दीक्षित को कांबली ओढ़ाकर की अनुमोदना- अखिल भारतीय खरतरगच्छ महासंघ सहित देशभर से आये लगभग 100 से अधिक संघों ने नूतन दीक्षित को कांबली ओढ़ाकर उनके संयम जीवन की अनुमोदना की। इस अवसर पर अखिल भारतीय खरतरगच्छ महासंघ के पूर्व अध्यक्ष पदमचंद नाहटा, अखिल भारतीय युवक महासंघ के संस्थापक अध्यक्ष ललित नाहटा, नाकोड़ा ट्रस्ट अध्यक्ष अमृतलाल छाजेड़ सहित देशभर से आये सैकड़ों संघों के पदाधिकारीगण, प्रतिनिधिगण सहित हजारों श्रद्धालुगण उपस्थित रहे तथा पंडाल अंदर व बाहर पैर रखने के लिए भी जगह नहीं मिल रही थी।
आचार्यश्री का 2019 का चातुर्मास पालीतना में- नागपुर-नाचणगांव से पधारे गुरूभक्त गिरधारीलाल कोचर परिवार की वर्षों से भावना रही की आचार्य भगवंत की निश्रा में पालीतना तीर्थ पर चातुर्मास व उसके बाद गिरिराज की नव्वाणु यात्रा सम्पन्न हो। आचार्य भगवंत ने कोचर परिवार की वर्षों की भावना को साकार रूप प्रदान करते हुए द्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव के अनुसार 2019 का चातुर्मास विश्व विख्यात शंत्रुजय तीर्थ पर करने व चातुर्मास के पश्चात् नव्वाणु करवाने की अनुमति प्रदान की।
नूतन दीक्षित मुनि शौर्यरत्नसागर महाराज ने दीक्षा पश्चात् अपने प्रथम उद्बोधन में उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि एक नौकर का हाथ उसका मालिक पकड़े तो ये उसका सौभाग्य होता है, एक पत्नी का हाथ उसका पति पकड़ें तो ये उसका सौभाग्य होता है, एक पुत्र का हाथ उसका पिता पकड़ें ये उसका सौभाग्य होता है, आज शौर्य के रूप में मेरा पहला दिन है तथा जन्म के पहले दिन कोई बच्चा बोलता है इसलिए आज में शब्दों के माध्यम से कुछ भी बयां नही कर सकता बस आनन्द आनन्द आनन्द ओर परमानन्द का अहसास करना चाहता हूं।
लब्धिनिधान तीर्थ के पारसमल सेठिया ने इस दीक्षा महोत्सव में देशभर से पधारने वाले श्रद्धालुगण, कार्यक्रम में प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से सहयोग प्रदान करने वाली संस्थाएं, व्यक्ति, तथा कार्यक्रम का देशभर में मिडिया के माध्यम से कवरेज करने वाले सभी बंधुओं का पुनः-पुनः सहयोग की आशा के साथ आभार व्यक्त किया।
आचार्य भगवंत का विहार गुरूवार को- गुड़ामालानी में 23 नवम्बर को आयोजित होने जा रही मुमुक्षु निकिता बोहरा की दीक्षा में निश्रा प्रदान करते हुए जैनाचार्य जिनपीयूषसागर सूरीश्वर महाराज गुरूवार को चैहटन से विहार करेगें।

  • चन्द्रप्रकाश छाजेड़

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