आगरा के पेच नंबर-2 स्थित श्री दिगम्बर जैन मंदिर में आयोजित श्री सिद्धचक्र महा मंडल विधान में गणाचार्य श्री विराग सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन के दौरान कहा कि विश्व के प्रत्येक धर्म में मोक्ष की बात का उल्लेख किया गया है किंतु मोक्ष के मार्ग पर चलने का उल्लेख मात्र जैन धर्म में मिलता है। जैन धर्म में देव दर्शन का नियम होता है, जिसका मुख्य मकसद भगवान की प्रतिमा के दर्शन कर हम भी ऐसा पुरुषार्थ करें कि हम भी उनके जैसे बन जाएं।
चक्र तो कई महारथियों ने चलाये हैं किंतु सिद्धचक्र मात्र एक चक्र है जो कर्मो का नाश कर सुख की प्राप्ति कराने वाला है। यहां आये सभी श्रद्धालुगण भाव सहित विधान में आराधना कर जीवन को सुखमय/शांतिमय बनाएं। इसके बाद मुनिश्री विहसंत सागर जी ने कहा कि ओम बीजाक्षर से मन में एकाग्रता आती है। पंचपरमेष्ठी से निर्मित ओंकार शब्द है। हम सभी को जीवन में भगवान की भक्ति में समर्पित हो जाना चाहिए क्योंकि इससे जीवन सफल होगा। इस मौके पर श्रमण मुनि विसूर्य सागर महाराज, एलक विनियोग सागर जी ने अपना सान्निध्य प्रदान किया।