खेकड़ा : बड़ागांव स्थित दिगंबर जैन मंदिर में विराजमान मुनि 105 वैराग्य ऋषि ने मंगलवार देर रात समाधि ली। घटना की जानकारी मिलते ही सैकड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर पहुंची। श्रद्धालुओं ने बैंडबाजों के साथ मुनि की अंतिम यात्रा निकाली।
12 साल से दिगंबर जैन मंदिर में निवास कर रहे मुनि 105 वैराग्य ऋषि मूलरूप से कोल्हापुर जिले के गोरवाड़ गांव के रहने थे। उनके ग्रहस्थ जीवन का नाम गणपति था। बलवंत ¨सह के परिवार में जन्मे गणपति की मां का नाम रत्नाबाई था। उनकी शादी इंद्रमति देवी से हुई थी, उनके पांच संतानें भी थीं। दो बेटे व तीन बेटियों के जन्म के बाद गणपति का मोह सांसारिक जीवन से उठ गया और जैन संत बनने की ठान ली। आचार्य कुसाग्रनंदी महाराज से दीक्षा ली।
85 वर्ष की आयु में मंगलवार रात वैराग्य ऋषि ने समाधि ली। अंतिम यात्रा दिगंबर जैन मंदिर, त्रिलोकतीर्थ धाम, साधुवृत्ति आश्रम का भ्रमण दिगंबर जैन मंदिर पहुंचकर समाप्त हो गई। यात्रा समाप्ति के बाद आर्यिका चंद्रमति माता के सानिध्य में मुनि को मंदिर प्रांगण में समाधि दी गई।
- Jagran