उज्जैन। जब वैराग्य के पथ पर चलने का भाव प्रबलता पर हो तो भोग-विलास भरे भौतिकतापूर्ण जीवन का कोई मूल्य नहीं रहता। इंजीनियरिंग कॉलेज से कम्प्यूटर साइंस में बीई की डिग्री हासिल कर कॉलेज में लैक्चरार के पद आसीन भावना धारीवाल ने कई बड़ी कम्पनियों में जॉब एवं शादी के अच्छे अवसर सिर्फ इसीलिए ठुकरा दिये कि उनका मन क्षणभंगुर भोग-विलास और भौतिकता से दूर भव-भव तक पुण्य प्रस्फुटित करने वाले वैराग्य के पथ पर केंद्रित था। आष्टा निवासी भावना धारीवाल सांसारिकता और सभी नाते-रिश्तों को छोड़ उज्जैन के खाराकुआं श्वेताम्बर जैन मंदिर में चातुर्मासरत गच्छधिपति आचार्य दौलतसागर सूरि जी से दिनांक 14 मार्च 2018 को दीक्षा ग्रहण करेंगी।
बता दें कि भावना नगर के अनाज कारोबारी वीरेंद्र धारीवाल की बेटी हैं और परिवार संयुक्त रूप से रहता है और आर्थिक रुप से सम्पन्न हैं। 24 साल की अवस्था में भावना ने बीई पास किया। उसके बाद उन्हें कई कम्पनियों से ऑफर मिले किंतु शहर से दूर न जाते हुए नगर के ही प्रोफेशनल कॉलेज में बतौर लैक्चरर की सेवाएं दी। इस बीच उनके कई रिश्ते आए किंतु भावना ने दीक्षा लेने की ठान ली थी, लिहाजा बेटी की जिद के आगे परिवारों ने भी अपनी समहति प्रदान कर दी।
भावना के परिवारीजनों के अनुसार शुरू से ही भावना धार्मिक क्रिया-कलापों से जुड़ी रही है। 14 मार्च को आयोजित दीक्षा समारोह कार्यक्रम में बड़े-बड़ा साधु-साध्वी पहुंचेगे। नगर के लोग भावना के दीक्षा लेने के निर्णय से आश्चर्य चकित हैं क्योंकि साध्वी बनना यानी कई कठोर एवं जटिल नियमों का पालन करना, ताउम्र बिना चप्पल पैदल चलता, पंखा, एसी, टीवी आदि सभी विलासिताओं का ता उम्र त्याग करना और यहां तक अपने परिवारीजनों से भी रिश्ता खत्म करना।