Jain muni Aditya Sagar- अशुभ भाव रखने वालों के प्रति शुभ भाव रखें- मुनिश्री आदित्य सागर जी


इंदौर‌। संसार में सब तरह के लोग होते हैं कुछ विघ्न संतोषी भी होते हैं जो किसी के प्रति शुभ भाव नहीं रखते, किसी को सुखी नहीं देख सकते। सच्चा सम्यक दृष्टि वही है जो अशुभ भाव रखने वालों के प्रति भी शुभ भाव रखे। जब कोई आपको पीड़ा पहुंचाए तो समता रखना एवं आर्त रोद्र ध्यान नहीं करना, धर्म ध्यान करना। कर्म किसी को नहीं छोड़ते, सीए अकाउंट में भूल चूक कर सकता है लेकिन कर्म, अपना फल देने में कभी भी भूल चूक नहीं कर सकता। कर्म बंध का फल तो व्यक्ति को भोगना ही पड़ता है।

यह उदगार मुनि श्री आदित्य सागर जी महाराज ने आज समोसरण मंदिर कंचन बाग में व्यक्त किए। मुनि श्री अप्रमितसागरजी ने चारित्र विनय पर प्रवचन देते हुए कहा कि कभी भी पुण्यात्मा एवं दिगंबर मुनियों का अविनय ना करें, जो दिगंबर मुनियों एवं त्यागियों की निंदा करता है उसका पुण्य क्षीण होता है और उसे तीव्र कषाय भाव के परिणाम भुगतना पढ़ते हैं। अतः किसी के प्रति विनय नहीं कर सकते तो अविनय भी ना करें।

इस अवसर पर प्रवचन पंडाल में आर्यिका पूर्णमति माताजी के सानिध्य में होने वाले गुरु आराधना महोत्सव में निकलने वाली वैराग्य बारात मैं नेमीकुमार के रूप में दूल्हे की भूमिका निभाने वाले आदित्य एवं नेमी कुमार के भाई बलदेव बने आगम की गोद मुनिश्री आदित्य सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में भरी गई पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री प्रदीप जैन आदित्य एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती रीटा जैन भी इस अवसर पर उपस्थित थीं और उन्होंने भी नेमी कुमार की गोद भरने का सौभाग्य अर्जित किया।

समारोह में प्रदीप जी ने श्रीमती ममता अशोक खासगीवाला की पुस्तक संस्कारों का सिंचन का विमोचन भी किया , इस अवसर पर हंसमुख गांधी टी के वेद, डॉक्टर जैनेंद्र जैन , राजेश जैन दद्दू, सीए अशोक जैन आदि उपस्थित थे।


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