नागपुर। जिनशासन के नन्दनवन नागपुर नगर में इतवारी बाजार स्थित अजितनाथ जैन श्वेतांबर मंदिर में श्वेतांबर समुदाय के महान जैनाचार्य परम पूज्य गुरुदेव श्री जिनपीयूषसागर सूरीश्वर जी महाराज के 25 दिनों की सूरिमंत्र अखंड मौन साधना कर रहे हैं। महाराज साहब द्वारा सूरि मंत्र की प्रथम पीठिका 2015 में जबलपुर नगर में, द्वितीय पीठिका 2016 में अजमेर में हुई थी वह इस वर्ष तृतीय पीठिका नागपुर नगर में हो रही है।
तृतीय लक्ष्मी देवी पीठिका की 25 दिन की साधना जैनाचार्य मौन रहकर कर रहे हैं। यह साधना देश व समाज के लिए कल्याणकारी और संस्मरणीय रहेगी। 8 नवम्बर तक चलनेवाली यह मौन साधना तृतीय पीठिका की पूर्णाहुति में नववर्ष की महामांगलिक का कार्यक्रम होगा।
जिनेश्वरसूरिजी की पाट परम्परा के वर्तमान आचार्यदेवश श्री जिनपीयूषसूरीश्वरजी म.सा म.सा. की 25 दिवसीय मौन साधना के साथ सूरि मंत्र की तृतीय पीठिका श्रीदेवी की साधना आसोज सुदि छठ, 14 अक्टूबर, रविवार को इतवारी बाजार स्थित अजितनाथ जैन श्वेताम्बर मंदिर दादावाड़ी प्रांगण में प्रारम्भ हुई जो पूर्णाहुति की ओर अग्रसर है। इस आराधना की पूर्णाहुति कार्तिक सुदि एकम नूतन वीर संवत 2545, 8 नवम्बर शुक्रवार को नूतन वर्ष की महामांगलिक के साथ होगी।
सूरि मंत्र की साधना करने का प्रारम्भ करने का उचित समय श्री गौतम स्वामीजी के समय के साथ प्रारम्भ होता है। 25 दिवसीय पिठिका अनुसार साधना की जाती है। इसमें पहली साधना सरस्वती देवी की होती है। वीतराग वाणी ही सरस्वती है इसकी प्रथम आराधना की जाती है। इसी के साथ पीठिका पर गौतमस्वामी जी सहित यक्षराज, लक्ष्मीदेवी आदि देवी देवता की भी आराधना की जाती है। यह आराधना करने के बाद आचार्य भगवन्त प्रतिष्ठा अंजनशलाका आदि करते है। प्रतिमा के कान में मंत्रोच्चार करके प्राण फूंकते है।
आचार्यपद प्राप्त होने के बाद आचार्य भगवन्त को सूरि मंत्र आराधना करना महत्वपूर्ण होता है। आचार्यश्री आराधना के दौरान 25 दिवस तक पूर्णकालिक मौन साधना में रहेगें। तृतीय पद पर आरुढ होने वाले आचार्यश्री को प्रतिदिन 3 घण्टे तक जाप आदि करके साधना करना पड़ती है। आचार्यश्री साधना के बल पर उर्जा प्राप्त करके समाज का उत्थान करते हुये पंच प्रस्थान की स्थापना के साथ मौन पूर्वक आराधना करेगें।
— Chandraprakash Jain