सिंहस्थ में पहली बार जैन साध्वी बनेंगी महामंडलेश्वर।


उज्जैन में महाकुंभ सिंहस्थ में पहली बार जैन साध्वी चंदनप्रभा गिरी महिला संत का सनातन धर्म महामंडलेश्वर के रूप में आगमन होगा। इनका 12 मई को जूना अखाड़े में पटटाभिषेक होगा। जैन धर्म के 23वें तीर्थकर पाश्र्वनाथ की अधिष्ठायक देवी पदमावती की साधक के रूप में विख्यात चंदनप्रभा पिछले लगभग 15 वर्षो से पूरी तरह साध्वी नहीं रही हैं किंतु वे गृहस्थ जीवन में भी नहीं लौटी और तप, त्याग के साथ लगातार सेवा-भाव में जुटी रही। चंदनप्रभा ने राजस्थान के लाढनूं से हायर सेकेंडरी तक शिक्षा प्राप्त की है। चंदनप्रभा को वर्ष 1994 में कैंसर हो गया था और उनके शरीर में कैंसर की गांठ मां पदमावती के आशीर्वाद से बिल्कुल गायब हो गयी। इस असाधारण घटना देख डाक्टर भी चकित रह गये। उसी के बाद से ही साध्वी चंदनप्रभा का मां पदमावती पर अटूट श्रद्धा हो गयी थी। ये 35 वर्ष पूर्व गृहस्थ जीवन त्याग मात्र 12 वर्ष की अवस्था में इस राह पर निकल पड़ी थी। साध्वी चंदनप्रभा के कायरे से प्रभावित पंच दशनाम जूना अखाड़ा के संतों ने उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि देने का फैसला लिया है। इसके बाद वे महामंडलेश्वर चंदनप्रभा गिरी की पदवी प्राप्त कर लेंगी। इससे पूर्व दिनांक 10 मई को अखिल भारतीय ज्योति एवं जैन यति महासम्मेलन एवं 11 मई को 1008 जोड़ों से महालक्ष्मी पद्मावती का महापूजन, रथायात्रा एवं भक्ति संगीत का कार्यक्रम होगा।


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