शहर के श्री आदिनाथ दिगंबर जैन चैत्यालय मंदिर में 78 वर्षीय श्रवण मुनि विश्वअरुचि सागर महाराज ने समाधि ले ली। जैन मुनि 22 नवंबर से संलेखना व्रत पर थे। सोमवार को शहर में जैसे ही जैन समाज के लोगों को यह खबर मिली कि जैन मुनि ने समाधि ले ली तो लोगों की भीड़ अंतिम दर्शन के लिए पहुंची। बैंडबाजों के साथ शहर भर में मुनि महाराज का डोला निकाला गया। नसिया जी मंदिर में जैन मुनियों और आर्यकाओं ने अंतिम दर्शन किए। इसके बाद विधि विधान से अंतिम संस्कार किया गया।
2003 से लिया ब्रह्मचर्य का व्रत
रौन मेंहदा के बहादुरपुरा में पिता हुकुमचंद्र जैन और मां गोमती देवी के घर में नेमीचंद्र जैन ने जन्म लिया था। पांचवी तक शिक्षा हासिल किए नेमीचंद्र जैन ने वर्ष 2003 से आचार्य विवेक सागर महाराज से ब्रह्मचर्य का व्रत लिया। सोनागिर में 8 अगस्त 2008 में मुनि दीक्षा ली।
दीक्षा के साथ ही मुनि विश्व नेमी सागर महाराज नाम मिला। राष्ट्रसंत गणाचार्य विराग सागर महाराज से पिछले दिनों 22 नवंबर को पुन: दीक्षा ली। विराग सागर महाराज ने श्रवण मुनि विश्वअरुचि सागर महाराज नाम दिया। परिवार में बेटे कमलेश कुमार जैन, अजीत कुमार जैन, मधु जैन, मीरा और संजू जैन हैं। श्रवण मुनि विश्वअरुचि सागर महाराज ने 22 नवंबर को पुन: दीक्षा हासिल करने के बाद से ही संलेखना व्रत ले लिया था। वे पिछले कई दिनों से अस्वस्थ्य भी थे। संलेखना व्रत के दौरान उन्होंने सोमवार सुबह 9:07 बजे चैत्यालय मंदिर में मुनिश्री ने समाधि ली।
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