भोपाल। संघर्षमय जीवन का उपसंहार हर्षमय होता है। जहां संघर्ष है वहीं उत्कर्ष है। नववर्ष में हर्ष नहीं नयेपन में हर्ष होता है। यह विचार इकबाल मैदान गुरुवार को धर्मसभा में मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि अपने जीवन में अध्यात्मिक मोड़ लाए बिना जीवन में वास्तविक उत्कर्ष नहीं होगा। व्यवहार में सरलता, सादगी आनी चाहिए जो जीवन के मूल तत्व हैं। मुनिश्री ने कहा कि मनुष्य की दुर्बलता मनुष्य को आज हर क्षेत्र में पीछे कर रही है।
— अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी