जैन हीरा व्यवसायी को मुक्तिद्वार के सामने फीकी लगी हीरे की चमक, लेगा दीक्षा


रतलाम के 30 वर्षीय आलोक को मुक्तिमार्ग की ऐसी चमक दिख गई कि उसके सामने हीरे की चमक भी फीकी पड़ गयी। मास्टर ऑफ कॉमर्स की डिग्री लेने के बाद आलोक युवा हीरा व्यवसायी तो बन गया किंतु सांसारिक जीवन उन्हें रास नहीं आया और उनके मन में गुरु भक्ति कर्म जागृत हुए  तो जैन समाज के इस हीरा व्यवसायी ने गुरु दीक्षा लेने का निर्णय ले लिया। आलोक के मन में यह बात घर कर गई कि यह सांसारिक सत्य है कि जो बोया जाएगा, उसी फसल को काटा जाएगा, उन्हें आभास हो गया कि असली हीरे की चमक तो मुक्ति का द्वार है। इसलिए कर्म की गति कर्म से ही होगी।

30 वर्षीय आलोक जैन दो वर्ष पूर्व एक दीक्षा समारोह में शामिल हुए थे और उसी केबाद उन्होंने तय कर लिया था कि सांसारिक चकाचौंध, भौतिकतावाद भरी जिंदगी से मुक्त होकर आध्यात्म के पथ पर चले जाएंगे। रतलाम जैन समाज के लिए पहला अवसर है कि जब कोई सांसारिक युवक अगले महीने दीक्षा ग्रहण करने जा रहा है। आलोक अगले माह आचार्य 108 श्री वर्धमान महाराज से दीक्षा लेंगे। आलोक के भाई प्रभात जैन ने बताया कि राजप व मीनाक्षी दोशी के पुत्र आलोक के पैतृक निवास रतलाम में दो दिन का दीक्षा समारोह आयोजित किया जाएगा। सर्वप्रथम तमपार्ग की अनुमोदना की जाएगी।

24 सितम्बर से शुरू होने वाले इस भव्य आयोजन में रात 08.00 बजे सैलाना वालों की हवेली में सभी इंद्रों को जीतने वाली जिनेंद्र भक्ति कार्यक्रम आयोजित होगा एवं 25 सितम्बर को प्रात: 08.00 बजे कसारा बाजार स्थित जैन मंदिर हाथीवाला से बिनोली निकलेगी। दोपहर 12.00 बजे सैलाना वालों की हवेली में स्वामी वात्सल्य होगा।


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