झारखंड राज्य के चतरा नगर का इटखोरी प्रखंड में जैन धर्म का बड़ा तीर्थस्थल की स्थापना होने जा रही है। इस क्षेत्र में जैन धर्म का दूसरा सबसे बड़ा तीर्थक्षेत्र बनने जा रहा है, जिसकी जोर-शोर से तैयारिया शुरू हो गई है। 14 जुलाई को तीर्थक्षेत्र की स्थापना का शंखनाद होने जा रहा है और इसी वर्ष के माह अक्टूबर में इसकी नींव रखी जाएगी। अखिल भारतीय दिगम्बर जैन महासभा ने एक दशक पूर्व ही मां भद्रमाली मंदिर परिसर के भदलपुर क्षेत्र को दसवें तीर्थकर भगवान शीतलनाथ स्वामी की जन्मभूमि का दर्जा प्रदान कर रखा है किंतु भूमि के अभाव में तीर्थक्षेत्र की स्थापना का कार्य पूर्ण नहीं हो पा रहा था। अब भूमि संबंधी अड़चने दूर की जा चुकी हैं।
जिला प्रशासन ने शीतलनाथ तीर्थक्षेत्र कमेटी को ढ़ाई एकड़ भूमि आवंटित की है। इसी भूमि पर 10वें तीर्थकर के भव्य मंदिर के साथ अन्य और तीर्थकरों का मंदिर बनने जा रहा है। मंदिर के अलावा धर्मशाला, म्यूजियम आदि का भी निर्माण किया जाएगा। तीर्थक्षेत्र के महामंत्री सुरेश झांझजली ने बताया कि झारखंड में जैन धर्म का एकमात्र तीर्थ पारसनाथ है और अब इटखोरी का भद्रकाली मंदिर परिसर में दूसरा जैन तीर्थ बनने जा रहा है, जैन धर्म की आस्था का बड़ा केंद्र होगा। उन्होंने बताया कि ज्ञानमती माता जी का आशीर्वाद तीर्थक्षेत्र को प्राप्त हो चुका है।
14 जुलाई को तीर्थक्षेत्र के निर्माण के लिए भूमि पूजन किया जाएगा और माह अक्टूबर में ज्ञानमती माताजी के साथ देश के कोने-कोने से जैन समाज के लोग एकत्रित होंगे। ज्ञातव्य हो कि जैन धर्म के 10वें तीर्थकर की जन्मभूमि को लेकर मध्य प्रदेश के विदिशा एवं झारखंड के इटखोरी के बीच पेंच फंसा हुआ था। इसको लेकर अखिल भारतीय दिगंबर जैन महासभा की कई बार दिल्ली में बैठक हो चुकी है। अंतत: भद्रकाली मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान प्राप्त भगवान शीतलनाथ के चरण चिह्न को तथ्य मानते हुए झारखंड के इटखोरी के भद्रकाली मंदिर परिसर में जन्मभूमि घोषित कर दिया गया।