इंदौर के रतनबाग स्थित शंखेर पाश्र्वनाथ नवरत्नधान में धर्मसभा को संबोधित करते हुए शुक्रवार आचार्य हेमचंद्र सागर सूरीश्वर महाराज ने कहा कि केवल श्लोक पढ़ लेने या मन्दिर में जाकर दर्शन कर लेने मात्र से तपस्या-साधना नहीं पूरी होती। जैन धर्म में जन्म लेना ही सबके लिए गौरव की बात है क्योंकि अहिंसा, सत्य और अपरिग्रह जैसे सार्वभौमिक सिद्धांतों के पोषक हैं। इसके बाद मुनि प्रसन्न सागर, आनंदचंद्र सागर, गणिवर्य विराग चंद्रसागर एवं मेघचंद्र सागर ने भी धर्मसभा में प्रवचनरूपी अमृतधारा की वर्षा की।
इसके पूर्व जानकरी नगर से विहार कर साधु-साध्वी भगवंतों का संघ रिमझिम फुहारों के बीच बैंड-बाजों सहित रतनबाग में मंगल प्रवेश किया। श्री श्वेताम्बर जैन तपागच्छ उपाश्रय ट्रस्ट के चेयरमैन एवं रेसकोर्स रोड श्रीसंघ के डा. प्रकाश मांगानी तथा दिलीप सी. जैन ने बताया कि आचार्यश्री एवं 112 साधु-साध्वी एवं भगवंतों के 9 जुलाई को क्लर्क कालोनी, 10 जुलाई को पीपली बाजार, 11 जुलाई को कंचनबाग एवं 12 जुलाई को बल्लभ नगर में मंगल प्रवचन होंगे।