भोपाल। मुनिश्री प्रमाण सागर जी महाराज ने कहा- देश में धार्मिक कट्टरता नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति के प्रति अगाध निष्ठा की जरूरत है। इंटरनेट पर व्यस्त रहने के लिए बच्चों को ही दोषी न ठहराएं, बल्कि अभिभावक स्वयं भी विवेक का उपयोग कर इंटरनेट का इस्तेमाल करें, तब ही वे बच्चों को नुकसान समझा पाएंगे। मुनिश्री ने यह बातें राजधानी के वरिष्ठ मीडियाकर्मियों के सवालों के जवाब में कहीं। दरअसल, श्यामला हिल्स स्थित टेगौर छात्रावास परिसर में सिद्धचक्र महामंडल विधान स्थल पर शुक्रवार को शंका समाधान कार्यक्रम अायोजित किया था। मुनिश्री ने कहा कि मेरी नजर में नागरिकता संशोधन कानून 50 साल पहले लागू हो जाना चाहिए था। हमें राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठकर देशहित को सर्वोपरि मानना चाहिए। शंका समाधान कार्यक्रम का संचालन एडीजी पवन जैन ने किया। सवाल करने वालों में दैनिक भास्कर के स्टेट एडिटर अवनीश जैन, राजेन्द्र शर्मा, जिनेश जैन, सुदेश गौड़, शैलेन्द्र तिवारी, शरद द्विवेदी, प्रशांत जैन, संजीव शर्मा, अक्षत शर्मा, प्रवीण दुबे, दीपेश जैन, सचिन जैन प्रमुख थे।
इंटरनेट… मेरा बच्चा वाट्सएप, इंटरनेट, सोशल मीडिया आदि का अधिक उपयोग कर रहा है। एसा कहने से पहले अभिभावक स्वयं सोचें कि वे इससे कितना बचे हैं। हमें यह समझने की जरूरत है कि इन भौतिकतावादी साधनों का कितना उपयोग करना है। इसका उदाहरण है कि इंटरनेट व वॉट्सएप बनाने वाले लोगों के परिवार में ही इन साधनों का उपयोग 15 मिनट या फिर अवकाश के दिन अधिकतम आधा घंटा किया जाता है।
सकारात्मकता… औचित्य को स्वीकार करो, जो औचित्य से बाहर है, उसे छोड़ दो। हमें तय करना होगा कि साधन का उपयोग कितना करना है। जो हिंसा से दूर रहे वह हिंदू है। हम चाहेंगे हिंसा जड़ से खत्म हो। सकारात्मक खबरें फैलाओ। देश में सकारात्मकता की जरूरत है। नकारात्मक पत्रकारिता से दूर रहो।
मौलिकता… मुनिश्री ने कहा- जब तक हमारी मौलिकता कायम है, तभी तक प्रभाव है और जब मौलिकता खत्म होती है तो प्रभाव भी खत्म हो जाता है। बाजार में लोकप्रिय होने के लिए दूसरे ब्रांड को कमजोर करना सही नहीं है, बल्कि अपने ब्रांड को इतना मजबूत बनाएं कि बाजार उसके पीछे चले।
— अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी