दिल्ली/जैन धर्म दर्शन, साहित्य, शिक्षा आदि अनेक विषयों के प्रकांड विद्वान सरलता एवं सादगी के प्रतीक, संपादक अनेक लेख एवं शोध आलेख के लेखक, संस्कृत ,प्राकृत, अंग्रेजी ,अपभ्रंश आदि भाषाओं के विशेषज्ञ, वाणी के जादूगर प्रोफेसर नलिन के शास्त्री को आचार्य विद्यानंद जी महाराज की जन्म शताब्दी के शुभारंभ अवसर पर आचार्य विद्यानंद पुरस्कार एवं वाचस्पति की उपाधि से सम्मानित किया गया।
लाल किला मैदान दिल्ली में हुए भव्य आयोजन के दौरान उन्हें यह प्रतिष्ठित पुरस्कार अंतेवासी, पट्ट शिष्य ,राष्ट्र संत ,परंपराचार्य श्री प्रज्ञ सागर जी महाराज,आचार्य श्री श्रुत सागरजी महाराज संसघ के पावन सानिध्य में प्रदान किया गया।
21 अप्रैल 2024 महावीर जयंती के पावन अवसर पर यह पुरस्कार उन्हें दिगंबर जैन रत्नत्रय जिन मंदिर द्वारका सेक्टर 10 नई दिल्ली द्वारा प्रदान किया गया। भारत मंडपम प्रगति मैदान में हुए भगवान महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आचार्य श्री प्रज्ञ सागरजी महाराज ने प्रो नलिन के शास्त्री द्वारा सृजित जैन धर्म जन धर्म की प्रथम प्रति भेंट की।
उल्लेखनीय है कि प्रोफेसर नलिन के शास्त्री जैन दर्शन के मूर्धन्य विद्वानों में सम्मिलित हैं, जो पर्यावरण एवं वनस्पति विज्ञान के पूर्व आचार्य होने के साथ-साथ उच्च शिक्षा के प्रबंधन के क्षेत्र में एक परिचित नाम है।उन्होंने अपनी 50 वर्षीय साहित्य सेवा में अनेक आयामों को गढ़ा है ।उन्होंने जैन दर्शन को आगे बढ़ाने के लिए अनेक कार्य किये जो युवा विद्वानों के लिए मील का पत्थर है।
दिल्ली के गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ, मगध विश्वविद्यालय बोधगया, जैन विश्व भारती संस्थान लाडनूं के कुल सचिव भी रहे हैं। वर्तमान में वे जैन विश्व भारती संस्थान मनित विश्वविद्यालय लाडनूं में कुलपति के विशेष कर्तव्य अधिकारी के रूप में अपनी उल्लेखनीय सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। प्रोफेसर नलिन के शास्त्री को मिले इस उत्कृष्ट पुरस्कार हेतु अनेक विद्वत जनों एवं समाज जनों ने बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित की हैं।
—राजेंद्र जैन महावीर